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करिअर पर्यटन उद्योग में

(अशोक सिंह)

नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (वार्ता) भारत में प्रकृति प्रदत्त नैसर्गिक पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है। एक ओर बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं हैं तो दूसरी तरफ खूबसूरत लम्बे समुद्री तट, राजस्थान में दूर दूर तक फैले विशाल रेगिस्तान हैं जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक हमेशा तत्पर रहते हैं। यही नहीं ऐतिहासिक इमारतें और देश के प्रत्येक राज्य में मौजूद प्राचीन मंदिर भी बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करते हैं।

घुमक्कड़ी के शौक़ीन लोगों के लिए देश-विदेश में सैर-सपाटा करना ही संभवतः उनके जीवन का सबसे बड़ा जुनून होता है। इन सैलानियों से प्राप्त आय पर न सिर्फ हमारे देश के कश्मीर और उत्तरांचल सरीखे कुछ प्रदेशों की आर्थिक धुरी निर्भर है बल्कि विश्व के कितने ही देशों की आय का मुख्य ज़रिया पर्यटन उद्योग है। चिमनीविहीन उद्योग के रूप में इसकी पहचान है।

रोज़गार संभावनाएं :- विशेषज्ञों द्वारा संभावना जताई जा रही है कि आगामी दस वर्षों में पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था में भारत का स्थान विश्व में तीसरा हो जाएगा। देश में इस दौरान लगभग एक करोड़ नई जॉब्स का इस क्षेत्र में सृजन होने की उम्मीद है। वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म कौंसिल द्वारा जारी रिपोर्ट में इस आशय की संभावनाओं की ओर इशारा किया गया है। अभी देश में लगभग चार करोड़ लोग टूर एंड टूरिज्म इंडस्ट्री के माध्यम से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर आजीविका हासिल कर रहे हैं।

सम्बद्ध अन्य उद्योग :- पर्यटन उद्योग से कई अन्य तरह के उद्योग भी जुड़े हुए हैं। इनमें टूर ऑपरेटर, होटल इंडस्ट्री, हस्तशिल्प उद्योग, कला एवं संस्कृति से सम्बंधित कलाकार, हवाई सेवाओं, इवेंट मैनेजमेंट का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। विभिन्न उद्योगों से जुड़ाव को देखते हुए पर्यटन उद्योग की विशालता का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

पर्यटन उद्योग में नई विधाएं :- हाल के वर्षों में मार्केटिंग के नए फंडों, जैसे ग्रामीण पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, मेडिकल टूरिज्म, स्पोर्ट्स टूरिज्म, हनीमून पैकेज टूर, फैमिली पैकेज टूर आदि के नाम से भी पर्यटकों को आकर्षित किया जाने लगा है। इस क्रम में जेब पर बहुत भारी नहीं पड़ने वाले इकोनोमिकल प्रकृति के टूर पैकेज ऑफर किये जाते हैं जिनमें कम खर्चे में आरामदायक एवं तनावरहित तरीके से ज्यादा से ज्यादा जगहों पर सैर सपाटा करने का प्रावधान होता है। यही नहीं बड़े ग्रुप में जाने वालों को अधिक डिस्काउंट का भी ऑफर दिया जाता है।

शैक्षिक योग्यता :- टूरिज्म में बैचलर्स या मास्टर्स डिग्री कोर्स करने वालों को इस प्रोफेशन के जॉब्स में प्राथमिकता दी जाती है हालांकि ग्रेजुएट भी इस क्षेत्र की जॉब्स के लिए प्रयास कर सकते हैं। अब तो एम बी ए(पर्यटन) सरीखी विशेषज्ञ डिग्री भी कई विश्वविद्यालयों में उपलब्ध है। चंद महीनों की अवधि के भी कई कोर्सेस सरकारी और निजी संस्थानों द्वारा संचालित किये जाते हैं। होटल मैनेजमेंट का कोर्स करने वालों को भी जॉब्स में तरजीह दी जाती है।

व्यक्तित्व विशेषता :- ऐसे युवा जो घूमने-फिरने के शौक़ीन है, जिन्हें नई जगहों पर जाना पसंद है और जो अजनबियों से मिलने में ख़ुशी का अनुभव करते हैं उनके लिए यह प्रोफेशन सफलता के काफी अवसर प्रदान कर सकता है। हिंदी-अंग्रेजी के अलावा किसी विदेशी भाषा का जानकार होना इस प्रोफेशन के लिए अतिरिक्त योग्यता है। इसी प्रकार घरेलू पर्यटन के क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों में किसी अन्य भारतीय भाषा का जानकार होने से जॉब पाने में आसानी होती है। सौम्य और मुस्कान भरा चेहरा, साथ में धैर्यवान तथा संचार कला में माहिर होना भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ने में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है। कस्टमर की शिकायत का तुरंत समाधान और बिना बहस के उसके गुस्से को शांत करने जैसे गुण का होना भी ज़रूरी है।

कैसे कैसे जॉब्स :- सरकारी पर्यटन विभागों, टूर ऑपरेटर कंपनियों, होटल इंडस्ट्री की विभिन्न विधाओं से सम्बंधित जॉब्स, एयरलाइंस कंपनियों, क्रूज़ ऑपरेटर कंपनियों, ट्रेवल एजेंसियों आदि में प्रमुख तौर पर जॉब्स हासिल किये जा सकते हैं। इनके अतिरिक्त बतौर इंटरप्रेटर(दुभाषिया) तथा पासपोर्ट और वीजा सम्बंधित कार्यकलापों में सहायता करने वाली एजेंसियों में भी काम करने के अवसर मिल सकते हैं। स्वरोजगार के तौर पर भी कई तरह के काम इस क्षेत्र से जुड़कर अत्यंत कम निवेश में शुरू किये जा सकते हैं। मार्केटिंग और सेल्स की विधा में पारंगत युवाओं को इस प्रोफेशन से सम्बंधित हर कंपनी अपनी ओर आकर्षित करने का भरपूर प्रयास करती है। ध्यान रखें कि ज्यादा बिजनेस देने वालों के लिए पैसे और समय पूर्व तरक्की के अलावा मुफ्त में घूमने के मौके भी होते हैं। इसके अलावा ऐसे कोर्स करवाने वाले संस्थानों में पार्ट टाइम अथवा फुल टाइम टीचिंग करने जैसे विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है।

गुरुमंत्र :- आरामपरस्त और ऑफिस टाइम की मानसिकता रखने वालों के लिए यह क्षेत्र कतई नहीं है। हर रोज़ नई-नई जगहों पर जाना, दिन-रात का सफ़र और अपनी सुविधा से ज्यादा पर्यटकों का ध्यान रखना ही तरक्की दिलाने की एकमात्र सीढ़ी होगी। समय की पाबंदी और अपने दायित्व का हमेशा अहसास रहना भी एक कर्मठ कर्मी के रूप में पहचान बनाने में सहायक होंगे।

जय जितेन्द्र

वार्ता

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