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बंदरों के आतंक का मामला संसद में गूंजा

बंदरों के आतंक का मामला संसद में गूंजा

नयी दिल्ली, 21 नवंबर (वार्ता) राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत देश के विभिन्न शहरों में बंदरों के बढते आतंक का मुद्दा गुरुवार को लोकसभा में गूंजा।

भारतीय जनता पार्टी की हेमा मालिनी ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र मथुरा और वृंदावन में बंदरों का आंतक बढने के कारण स्थानीय लोगों को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। तीर्थ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को भी इसका शिकार बनना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि वृंदावन में कभी घने जंगल हुआ करते थे जिसमें बंदरों को खाने पीने की कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन जंगलों के कटने से बंदरों खाना मिलना बंद हो गया और वह रिहायशी इलाकों तथा मंदिरों के आसपास मंडराते रहते हैं और लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। मंदिरों के आसपास श्रद्धालु बंदरों को कचौड़ी समोसा खिलाते हैं जिससे बंदर बीमार होे रहे हैं।

भाजपा सदस्य ने कहा कि प्रशासन की ओर से कुछ बंदरों का बंध्याकरण भी किया गया है लेकिन इससे बंदर और उग्र होकर लोगों पर हमले कर रहे हैं। उन्होंने बंदर सफारी बनाने का सरकार से आग्रह किया है।

लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान ने बंदरों के आतंक को गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि इससे राजधानी का लुटियंस जोन भी सुरक्षित नहीं है। यहां घरों के अंदर बंदर घुसकर लोगों को काट लेते हैं और सामान का नुकसान करते हैं। उन्होंने कहा कि जंगलों के कटाव के कारण बंदरों का घर बर्बाद हो गया है जिससे वह हमारे घरों में आ रहे हैं। बंदरों के आतंक का आतंक का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि लुटियंस जोन में बंदरों से सावधान का बोर्ड देखने को मिलता है।

तृणमूल के सुदीप वंदोपाध्याय ने बंदरों के आतंक को एक गंभीर समस्या बताते हुए सरकार से इसका समाधान करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा तीर्थस्थानों पर बंदर अकसर श्रद्धालुओं को अपना शिकार बना लेते हैं और कभी कभी लोगों का सामान छीनकर भाग जाते हैं।

आजाद,अभिनव

वार्ता

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