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ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करे केन्द्र-गहलोत

ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करे केन्द्र-गहलोत

नयी दिल्ली/जयपुर, 15 जून (वार्ता) राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के 13 जिलों में वर्ष 2051 तक पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा दो लाख हैक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग की है।

श्री गहलोत ने आज नयी दिल्ली में नीति आयोग की गवर्निंग काउन्सिल की 5वीं बैठक में वर्षा जल संरक्षण, पेयजल, कृषि, सूखा प्रबंधन एवं चिकित्सा सहित राज्य के विकास से संबंधित विभिन्न अहम मुद्दों पर राजस्थान का पक्ष मजबूती से रखा। उन्होंने ईआरपीसीपी को शीघ्र स्वीकृति देने की मांग करते हुए श्री मोदी को राजस्थान में एक जनसभा के दौरान इस परियोजना को लेकर किया गया उनका वायदा याद दिलाया। उस समय श्री मोदी ने आश्वासन दिया था कि उनकी सरकार इस परियोजना पर सहानुभूति विचार करके इसे शीघ्र स्वीकृति प्रदान करेगी। श्री गहलोत ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत चालू वित्त वर्ष के लिये 370 करोड़ रूपये की प्रथम किस्त भी शीघ्र जारी करने का आग्रह किया।

इससे पहले श्री गहलोत ने बैठक में कहा कि एकीकृत जल संग्रहण परियोजना के तहत वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 तक केन्द्र एवं राज्य का अंश 90 अनुपात का 10 था, लेकिन केन्द्र सरकार ने इस परियोजना के तहत स्वीकृत 205 परियेजनाओं को पूरा करने का पूर्ण भार राज्य सरकार पर डाल दिया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार राज्य की जल संग्रहण की महती आवश्यकता को देखते हुए केन्द्र का अंश पूर्व की भांति जारी रखा जाये। श्री गहलोत ने राजीव गांधी लिफ्ट नहर परियोजना के तृतीय चरण के लिए 1454 करोड़ रूपए की बाह्य वित्त पोषण सहायता प्राप्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने की मांग की। इस योजना से जोधपुर, बाड़मेर एवं पाली के 2014 गांवों तथा पांच कस्बों को वर्ष 2051 तक जल आपूर्ति की जा सकेगी। उन्होंने प्रदेश के चार जिलों जयपुर, अजमेर, टोंक एवं नागौर को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए बीसलपुर बांध को ब्राह्मणी नदी से जोड़ने की योजना के लिए भी बाह्य वित्त पोषण प्राप्त करने के लिए सहयोग मांगा।

श्री गहलोत ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एसडीआरएफ नियमों में कृषि आदान-अनुदान के लिए सीमा मरुस्थल विकास कार्यक्रम के 12 जिलों में भूमि दो हैक्टेयर से बढ़ाकर पांच हैक्टेयर की जाए। उन्होंने लघु एवं सीमान्त किसानों के अलावा अन्य किसानों एवं भूमिहीन कृषकों के पशुओं के लिए दी जाने वाली सहायता को भी एसडीआरएफ नॉर्म्स में शामिल किए जाने का आग्रह किया। उन्होंने राज्य के किसानों के हितों की पुरजोर पैरवी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कई पेचीदगियां हैं, उन्हें दूर कर किसानों को इसका वास्तविक लाभ दिलाने के लिए आवश्यक सुधार किया जाए। साथ ही उन्होंने दलहन व तिलहन की समर्थन मूल्य पर खरीद कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत के स्थान पर 40 प्रतिशत करने के साथ एक दिवस में दलहन-तिलहन की एक जिंस की खरीद सीमा 25 क्विंटल से बढाकर 40 क्विंटल तक करने की मांग रखी। उन्होंने आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 में राज्यों से चर्चा के बाद ही यथोचित संशोधन करने का अनुरोध किया।

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