नयी दिल्ली 26 अगस्त (वार्ता) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चौदहवें वित्त आयोग की अनुशंसा के बाद राज्य के कर राजस्व एवं अनुदान में भारी कमी होने की बात दुहराते हुये आज कहा कि ऐसे में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में होने वाले व्यय में राज्य के साथ केंद्र की भी समान भागीदारी होनी चाहिए।
श्री कुमार ने आज यहां विज्ञान भवन में नक्सलवाद प्रभावित राज्यों की समीक्षा बैठक में कहा कि जब भी राज्य सरकार पूर्व से चल रही केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में पहले की तरह वित्त पोषण अथवा अधिक संसाधनों की मांग करती है तो केन्द्र सरकार यह कहते हुए नकार देती है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में अब राज्यों को पहले से अधिक राशि दी जा रही है इसलिए अब वे अपनी निधि से ही काम चलायें। इस संबंध में उन्होंने लगातार स्थिति स्पष्ट करते हुए आंकड़ों के साथ केन्द्र सरकार को अवगत कराया है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के बाद कर अन्तरण या अनुदान में बिहार के संसाधनों में भारी कमी हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे में वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध लड़ाई केन्द्र एवं राज्य सरकार की संयुक्त लड़ाई है। इसलिए, इसका आर्थिक बोझ भी केन्द्र और राज्यों के बीच बांट कर वहन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “केन्द्र और राज्य, दोनों के लिए सहयोग, सकारात्मक एवं भरोसेमन्द कार्यशैली समय की मांग है ताकि आन्तरिक सुरक्षा के लिए नासूर बन गए वामपंथी उग्रवाद की समस्या का सामना करने में हम सक्षम हो सकें।”
श्री कुमार ने कहा कि बिहार अतिउग्रवाद प्रभावित जिलों औरंगाबाद, गया, जमुई एवं लखीसराय के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता योजना के तहत सड़क, विद्यालय, पेयजल, सिंचाई, स्वास्थ्य, सामुदायिक भवन, स्टेडियम, रोजगारोमुन्खी कौशल प्रशिक्षण से संबंधित 353 योजनाओं का कार्यान्वयन कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र से वित्त वर्ष 2019-20 में इस दिशा में आवंटन अभी तक नहीं मिला है। इसलिए, अनुरोध है कि आवंटन शीघ्र उपलब्ध कराया जाय ताकि कार्य में गति आये। देश के संघीय ढांचे के अन्तर्गत आन्तरिक सुरक्षा के समक्ष चुनौती प्रस्तुत करने वाले वामपंथी उग्रवादी संगठनों पर प्रभावकारी कार्रवाई करने और इनको निष्प्रभावी बनाने का कार्य राज्यों पर डालकर केन्द्र केवल समीक्षात्मक भूमिका नहीं निभा सकता है।