नयी दिल्ली, 17 जनवरी (वार्ता) मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना के समक्ष विरोध-प्रदर्शन करने पर केंद्र सरकार ने मंगलवार को शीर्ष अदालत के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई.चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी,
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की संविधान पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में हुए प्रदर्शन को ‘अवांछनीय’ ‘विरोध और नाटकीयता’ करार दिया।
संविधान पीठ के समक्ष (दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण के मामले में) सुनवाई के दौरान श्री मेहता ने उपराज्यपाल कार्यालय पर आम आदमी पार्टी के विधायकों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन का उल्लेख किया। श्री मेहता ने कहा जब संविधान पीठ मामले की सुनवाई कर रही है तो विरोध और नाटकीयता कभी नहीं हो सकती है।
श्री मेहता ने कहा कि एक चेतावनी है कि वह केवल कानूनी दलीलों तक ही सीमित रहेंगे।
दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी ने कहा, "मेरे पास कहने के लिए उनसे कहीं अधिक है।"
इस पर पीठ ने सिंघवी से कहा, 'यह संवैधानिक व्याख्या का सवाल है। हमने इसे स्पष्ट कर दिया है।”
श्री केजरीवाल और उनकी पार्टी के विधायकों ने सरकार के कामकाज में कथित हस्तक्षेप के विरोध में सोमवार को उपराज्यपाल कार्यालय तक मार्च किया था। श्री केजरीवाल ने यह भी आरोप लगाया कि श्री सक्सेना ने दिल्ली सरकार के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड जाने की अनुमति नहीं दी।
बीरेंद्र, यामिनी
वार्ता