रायपुर 27 जुलाई(वार्ता)छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मौजूदा कड़ी प्रतिस्पर्धा के युग में सहकारिता से उत्पादित सामानों की गुणवत्ता बढ़ाने पर पूरा जोर देना चाहिए जिससे कि वह कारपोरेट क्षेत्र के उत्पादों को चुनौती दे सके।
श्री बघेल ने आज यहां ‘मध्य क्षेत्र के राज्यों में सहकारी आंदोलन के समक्ष अवसर और चुनौतियां‘ विषय पर आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता ने भारत में लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।उन्होने कहा कि सहकारिता से जुडे करोड़ों लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए यह भी जरूरी है कि सहकारिता के कार्यों के प्रति व्यवसायिक दृष्टि अपनाई जाए और क्वालिटी पर सर्वाधिक जोर दिया जाए।
उन्होने कहा कि अगर गुणवत्ता पर जोर नहीं दिया गया तो सहकारिता मार्केट में अपने आप को स्थापित नहीं कर पाएगा और सरकार पर निर्भर हो जाएगा।उन्होने कहा कि यह भी जरूरी है कि सहकारिता से जुड़े उत्पाद और सेवाएं हमारे दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बने।मुख्यमंत्री ने सहकारी संस्थाओं द्वारा नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी योजना में भूमिका निभाने की इच्छा व्यक्त किए जाने पर उनका स्वागत किया और कहा कि सबके द्वारा मिलकर कार्य किए जाने से छत्तीसगढ़ देश भर के लिए रोल मॉडल बनेगा।
सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह ने कहा कि कृषि, कृषक और सहकारिता एक दूसरे के पूरक है। इनमें बेहतर सामंजस्य की जरूरत है। छत्तीसगढ़ ऐसा पहला राज्य है जिसमें किसानों का लगभग साढ़े 11 हजार रूपये की राशि का कृषि ऋण माफ किया है। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष डॉ. चन्द्रपाल यादव ने बताया कि देश में अनेक सहकारी संस्थाएं अदभुत कार्य कर रही हैं। किसानों की खुशहाली और मजबूती के लिए सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और नीली क्रांति लाने में सहकारिता की भूमिका रही है।
पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा ने छत्तीसगढ़ में सहकारिता के प्रशिक्षण दिए जाने पर जोर दिया और इसके लिए संस्थान प्रारंभ करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी योजना को सहकारिता से जोड़ने पर लाभ मिलेगा।
साहू
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