नयी दिल्ली, 16 अगस्त (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड के चार पवित्र नगरों को सभी मौसम में जोड़ने वाली चारधाम राजमार्ग परियोजना को शुक्रवार को हरी झंडी दे दी।
न्यायालय ने इस बाबत राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के अादेश में मामूली सुधार के साथ 900 किलोमीटर लंबी इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दी।
न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर विचार के लिए 22 अगस्त तक एक नयी उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करने का निर्देश दिया, जिसमें अहमदाबाद स्थित भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग से भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के एक प्रतिनिधि, देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान के एक प्रतिनिधि, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के एक प्रतिनिधि, सीमा सड़क मामलों से संबंधित रक्षा मंत्रालय के एक प्रतिनिधित्व को शामिल किया जायेगा।
एनजीटी ने व्यापक जनहित के मद्देनजर गत वर्ष 26 सितम्बर को इस परियोजना को मंजूरी दी थी, लेकिन गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सिटीजंस फॉर ग्रीन दून ने एनजीटी के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। एनजीओ का दावा है कि इस परियोजना से इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी को होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं हो सकेगी।
न्यायालय ने समिति को निर्देश दिया है कि वह चार महीने के भीतर अपनी सिफारिशें न्यायालय में पेश करे। इसके बाद, यह समिति तीन-तीन महीने पर अपनी बैठक करेगी, ताकि उन पर अमल सुनिश्चित किया जा सके और वह प्रत्येक समीक्षा बैठक के बाद अगले उपायों के लिए नये सुझाव दे सके।
पीठ ने कहा कि यह समिति समूची हिमायल घाटी पर चारधाम परियोजना के कुल और अलग-अलग असर का आकलन करेगी और इस मकसद से पर्यावरण प्रभाव आकलन के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति निर्देश देगी।