(डॉ. आशा मिश्रा उपाध्याय से..)
नयी दिल्ली 20 जून (वार्ता) ‘युवा भारत स्वस्थ भारत’ के नारे को चरितार्थ करने के लिए योग को देश में जनांदाेलन के रूप में स्थापित कर बच्चों को ‘योगी’ बनाना होगा। यह बात मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के निदेशक डाॅ ईश्वर वी बासवारेड्डी ने विश्व योग दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को ‘यूनीवार्ता’ से बातचीत में कही। वर्ष 2015 के पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजकों की टीम के महत्वपूर्ण सदस्य रहे डॉ बासवारेड्डी ने कहा, “कई तरह की सहज योग मुद्राओं और प्राणायाम से गंभीर बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है।” उन्होंने कहा, “इस बार पांचवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है और इस वर्ष का विषय ‘हृदय के लिए योग’ है। जीवन शैली में सुधार योग का शुरुआती और महत्वपूर्ण अंग है, लेकिन प्राणायाम, आसन और शवासन जैसी कुछ ऐसी तकनीक हैं जो दिल को ‘मजबूत’ रखकर हर तरह की बीमारियों के लिए रक्षा कवच के रूप में काम करती हैं। कई प्राणायाम हमारे फेफड़े की क्षमता बढ़ाते हैं। प्राणायाम, आसन और ध्यान अभ्यास से सारे फायदे मिलते हैं।”वर्ष 2005 से इस संस्थान के निदेशक के रूप में कार्यरत डॉ बासवारेड्डी ने कहा ,“योग, आध्यात्म, अनुशासन, मन, मस्तिष्क और शरीर का सामंजस्य है। इसे अपनाने से मन काबू में हो जाता है और हम अपने खानपान पर नियंत्रण रख सकते हैं।” बर्गर, पिज्जा समेत फास्ट फूड के नुकसान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि खानपान प्रबंधन से बहुत सी बीमारियां खत्म हो जाती हैं। डॉ बासवारेड्डी ने बच्चों के दैनिक जीवन में योग को शामिल करने की आश्वयकता और उपयोगिता पर जोर देते हुए कहा कि योगभ्यास करने से उनका स्वाभिमान बढ़ेगा और वे स्वयं को ऊर्जावान महसूस करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि योग जन आंदोलन बने और इस आंदोलन में हम योगी बनें। यह बच्चों के लिए भी है कि वे योग कर योगी बनें।उन्होंने कहा ,“हम लोगों को हठयोग, पतंग योग, कर्म योग, ध्यान योग, भक्ति योग की संयुक्त एवं चुनिंदा साधनाएं कराते हैं, लेकिन आम लोगों के लिए आसन, प्राणायाम और ध्यान करना असान है और इनसे उन्हें काफी फायदा पहुंचेगा। इन तीनों से बड़ी-बड़ी बीमारियों से रोकथाम हो सकती है।”
आशा, सुरेश, यामिनी
जारी वार्ता