लखनऊ 27 जनवरी (वार्ता)उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा है कि समितिया सदन का लघु स्वरूप होती है और समितियों के सदस्य मर्यादा में रहकर सरकारी तंत्र को जवाबदेह बना सकती हैं।
श्री दीक्षित ने सोमवार को विधान भवन के सभा कक्ष में सार्वजनिक उपक्रम समिति की नवगठित समिति की प्रथम बैठक का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि समितिया सदन का लघु स्वरूत होती है। समितियों के सभी सदस्य मर्यादा में अपनी बात कहकर सरकारी तंत्र को जवाबदेह बना सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सदन चलता है, उसी प्रकार समितियां भी अपना कार्य संचालन करती है। विधान सभा के विशेषाधिकार एवं उन्मुक्तियाँ इन समितियों में भी लागू होती है। समिति के सदस्यों को विशेषाधिकार प्राप्त होता है, जो सदन के चलते प्राप्त होती है।
श्री दीक्षित ने कहा कि सभा और समितियां वैदिक काल से ही प्रशासन का महत्वपूर्ण अंग रही है। बिट्रिश संसदीय प्रणाली के प्रादुर्भाव के बहुत पहले भारत में समिति और समितियों के माध्यम से शासन प्रशासन का कार्य चलता रहा है।
उन्होंने कहा कि विधान सभा में सत्ता पक्ष एक तरफ होता है और विपक्ष दूसरी तरफ होता है, बीच में अध्यक्ष होता है। यहां पर सत्ता और विपक्ष में विभेद नहीं होता है। सभी मिलकर एक पक्ष होते है। सभी सदस्य शासन के अधिकारियों के साथ तर्क प्रतितर्क के माध्यम से प्रस्तुत विषय की गम्भीरता पर विचार करते है। समितियों के सभी सदस्य मर्यादा में अपनी बात कहकर सरकारी तंत्र को जवाबदेह बना सकते हैं।
सार्वजनिक उपक्रम समिति के सभापति ने अवगत कराया की वर्ष 2017-18 का गठन होने के पश्चात् कुल 21 प्रत्यावेदन सदन में प्रस्तुत किये जा चुके है। समिति की कुल 99 बैठकें आयोजित की गयी हैं जिनमें 41 निगमों, परिषदों के आडिट प्रस्तरों पर विचार-विमर्श हुआ है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश विधान सभा के प्रमुख सचिव, प्रदीप कुमार दुबे समेत कई अधिकारी मौजूद थे।
भंडारी
वार्ता