लखनऊ 10 जुलाई (वार्ता) उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस अभिरक्षा में भागने का प्रयास करने के दौरान मारा गया कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के मामले में पुलिस की कार्यशैली को लेकरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत की गयी है।
समाजसेवी डा नूतन ठाकुर ने अपनी शिकायत में कहा है कि विकास दूबे का कृत्य अत्यंत जघन्य था लेकिन जिस प्रकार से पुलिस ने इसके बाद गैरकानूनी कार्य किये हैं, वह भी अत्यंत निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि आरोप हैं कि विकास के मामा प्रेम प्रकाश पाण्डेय तथा अतुल दूबे को गाँव में मारा गया जबकि वे कथित रूप से घटना में शरीक नहीं होने के कारण गाँव में मौजूद थे। इसी प्रकार उसके सहयोगी प्रभात मिश्रा तथा प्रवीण दूबे एवं अब स्वयं विकास को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मारा जाना किसी को स्वीकार नहीं हो रहा है। पुलिस की कहानी में कई जाहिरा खामियां हैं. ऐसे ही जैसे विकास का घर बिना आदेश के गिराया गया अथवा उसकी पत्नी व बच्चे से बर्ताव किया गया, वह अवैधानिक व अनुचित था।
नूतन ने इन आरोपों की जाँच की मांग की है।
प्रदीप
वार्ता
डॉ नूतन ठाकुर
# 09415534525
National Human Rights Commission Manav Adhikar Bhawan Block-C, GPO Complex, INA,, DELHI -110023 Dr Nutan Thakur, 5/426, Viram Khand, Gomti Nagar, Lucknow LUCKNOW , UTTAR PRADESH Dated: 10/07/2020 Dear Dr Nutan Thakur,The Commission has recieved your complaint and it has assigned diary number as 10203/IN/2020 with the following details:-
सेवा में,
अध्यक्ष,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नयी दिल्ली
विषय- ग्राम बिकरू, थाना चौबेपुर, जनपद कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश में हुई घटना के बाद हुए तमाम गैरकानूनी, अवैधानिक एवं अविधिक कार्यों की जाँच विषयक
महोदय,
कृपया विगत दिनों ग्राम बिकरू, थाना चौबेपुर, जनपद कानपुर नगर में हुई लोमहर्षक एवं जघन्यतम हत्याकांड का सन्दर्भ ग्रहण करने की कृपा करें, जिसमे अभियुक्त विकास दूबे व अन्य के द्वारा 08 पुलिसकर्मियों को मौके पर मार दिया गया.
अनुरोध करुँगी कि इस घटना के बाद जिस प्रकार पुलिस ने कार्य व बर्ताव किया है, वे निश्चित रूप से स्पष्टतया घोर निंदनीय, अमानवीय, अनुचित, गैरकानूनी एवं अवैध दिख रहे हैं. मैं इनमे महत्वपूर्ण कार्यों को संक्षेप में प्रस्तुत कर रही हूँ-
1. दिनांक 03/07/2020- 02 व्यक्ति प्रेम प्रकाश पाण्डेय तथा अतुल दूबे को गाँव में ही पुलिस द्वारा मारा गया और यह दावा किया गया कि उनका एनकाउंटर हुआ है. इसके विपरीत मुझे विश्वस्त सूत्रों से दी गयी जानकारी के अनुसार चूँकि ये दोनों व्यक्ति पुलिसकर्मियों की हत्या में बिलकुल नहीं शामिल थे, अतः वे निश्चिन्त थे तथा गाँव में ही आराम से मौजूद थे. मुझे दी गयी जानकारी के अनुसार पुलिस इन दोनों व्यक्तियों को पूछताछ के नाम पर मौके से ले गयी और कुछ समय बाद उनका एनकाउंटर दिखा दिया गया.
2. दिनांक 04/07/202- हथियार तथा गोला बारूद बरामद किये जाने के नाम पर विकास दूबे के पैत्रिक आवास को दिनदहाड़े बुलडोज़र से पूरी तरह ढहाते हुए नेस्तनाबूद कर दिया गया.
3. दिनांक 08/07/2020- विकास दूबे के आपराधिक सहयोगी अमर दूबे को हमीरपुर में मारा गया, जिसे पुलिस ने एनकाउंटर बताया.
4. दिनांक 09/07/2020- फरीदाबाद में गिरफ्तार हुए विकास के दो आपराधिक सहयोगी प्रभात मिश्रा तथा प्रवीण दूबे को इटावा में पुलिस कस्टडी से भागता हुआ बता कर मार डाला गया.
5. दिनांक 09/07/2020- विकास दूबे की पत्नी तथा बच्चे को गिरफ्तार किया गया तथा पुलिस द्वारा उनके साथ अमानवीय तथा अनुचित आचरण/व्यवहार किया गया.
6. दिनांक 10/07/2020- दिनांक 09/07/2020 को उज्जैन में सरेंडर किये विकास दूबे को प्रभात मिश्रा तथा प्रवीण दूबे की ही तरह कानपुर में पुलिस कस्टडी में मार दिया गया.
मैं स्पष्ट करना चाहती हूँ कि मैं किसी भी प्रकार से इन अपराधियों तथा उनके आपराधिक कृत्यों की समर्थक नहीं हूँ. मैं पेशे से अधिवक्ता एवं सोशल एक्टिविस्ट हूँ. साथ ही मेरे पति यूपी में एक आईपीएस अफसर हैं. इस रूप में मैं भी पुलिस परिवार की सदस्य हूँ तथा इस कारण मैं दिवंगत पुलिसकर्मियों के प्रति पूर्ण श्रद्धा, सहानुभूति एवं समर्पण रखती हूँ.
इसके विपरीत एक एक्टिविस्ट तथा एक अधिवक्ता के रूप में मैं कभी भी किसी भी गैरकानूनी तथा आपराधिक कृत्य का समर्थन नहीं कर सकती हूँ, चाहे वह अपराधी द्वारा किया जाये अथवा पुलिस द्वारा. इस मामले में जहाँ विकास दूबे ने जघन्यतम आपराधिक कार्य किये, वहीँ ऊपर वर्णित घटनाक्रम से स्पष्ट है कि इस घटना के बाद पुलिस ने भी लगातार गैरकानूनी तथा आपराधिक कार्य किये हैं.
मेरी समझ के अनुसार इसके दो मुख्य कारण हैं- (एक) अपनी स्वयं की कुर्सी बचाना क्योंकि इस घटना तथा इसके बाद सार्वजनिक हुए तथ्यों से पुलिस तथा प्रशासन की बहुत अधिक किरकिरी, आलोचना तथा निंदा हुई है. साथ ही इस मामले में कोई भी रिजल्ट देने का ऊपर से बहुत अधिक दवाब था. (दो) बड़े सत्ताधारी एवं रसूखदार लोगों को बचाना क्योंकि विकास दूबे को निरंतर सत्ताधारी लोगों का साथ एवं समर्थन रहा था और यदि वह पुलिस की पूछताछ तथा कोर्ट में सारी सच्चाई बयान कर देता तो कई सारे बड़े सत्ताधारी लोगों की स्थिति अत्यंत असहज हो जाती.
मेरी जानकारी एवं समझ के अनुसार पुलिस ने इन्ही कारणों से इस लोमहर्षक हत्याकांड के बाद लगातार उपरोक्त वर्णित विधिविरुद्ध तथा गैरकानूनी कार्य एवं अपराध किये हैं.
मेरा मानना है कि चूँकि विकास दूबे ने जघन्यतम आपराधिक कृत्य किया था, अतः उसके विरुद्ध कठोरतम विधिक कार्यवाही की जानी चाहिए थी. यदि वास्तव में कोई पुलिस मुठभेड़ होती जिसमे वह या उसके साथी मारे जाते तो वह भी उचित था. किन्तु जिस प्रकार से पहले गाँव में उसके मामा तथा सहयोगी, फिर पुलिस कस्टडी में मौजूद उसके आपराधिक सहयोगी प्रभात मिश्रा तथा प्रवीण दूबे फिर वह स्वयं भारी पुलिस बल की मौजूदगी में पुलिस कस्टडी में भागते हुए मारा गया वह किसी भी व्यक्ति को स्वीकार नहीं हो रहा है और साफ दिख रहा है कि ये सभी प्रायोजित एनकाउंटर थे, जो मात्र इन अपराधियों को मारने, अपनी कुर्सी बचाने, सत्ताधारी लोगों को प्रसन्न करने तथा इन अपराधियों से प्राप्त होने वाली सूचना तथा तथ्यों को छिपाने के उद्देश्य से किये गए.
इसी प्रकार जिस तरह विकास दूबे का पैत्रिक आवास बिना किसी विधिक आदेश के गिराया गया अथवा कल उसकी पत्नी तथा बच्चे के साथ अमानवीय एवं अनुचित ढंग से पूछताछ की गयी, वह स्पष्टतया अविधिक, अनुचित तथा गैरकानूनी कार्य थे.
इन स्थितियों में यह नितांत आवश्यक है कि इस पत्र में वर्णित समस्त तथ्यों की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा अविलंब जाँच करायी जाये तथा जाँच में प्राप्त तथ्यों के आधार पर यथोचित कार्यवाही की जाये. कृपया इस प्रकरण को सत्ता एवं अधिकारों के दुरुपयोग तथा अपने निजी स्वार्थ/लाभ एवं उच्चस्तरीय दवाब में किये गए अत्यंत गंभीर गैरकानूनी कार्य के रूप में देखा जाये.