राज्य » राजस्थानPosted at: Apr 5 2019 3:19PM बीटीपी बिगाड़ सकती है कांग्रेस एवं भाजपा का समीकरण
उदयपुर 05 अप्रैल (वार्ता) राजस्थान के आदिवासी बहुल मेवाड़ एवं वागड़ क्षेत्र में लोकसभा चुनावों में पहली बार मैदान में उतरी भारतीय आदिवासी पार्टी (बीटीपी) कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा) के समीकरण बिगाड़ सकती है।
उदयपुर एवं बांसवाड़ा-डूंगरपुर संसदीय सीट अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित है। बीटीपी ने बांसवाडा-डूंगरपुर सीट से कांतिलाल रोत एवं उदयपुर संसदीय सीट से बी एन छानवाल एवं जोधपुर से अमर सिंह कलूड़ा को चुनावी मैदान में उतारा है। बीटीपी राजस्थान की सियासत में गत विधानसभा चुनावों में उस समय अचानक सुर्खियों में आई जब पहली बार उसके दो विधायक निवार्चित होकर आये और करीब चार से पांच विधानसभा सीटों पर बीटीपी के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। पिछले विधानसभा चुनाव में बीटीपी के सागवाड़ा से रामप्रसाद डिंड़ोर एवं चौरासी विधानसभा सीट से राजकुमार रोत विधायक चुने गये थे।
उधर कांग्रेस पार्टी ने उदयपुर लोकसभा सीट से पार्टी की केन्द्रीय कार्य समिति के सदस्य एवं पूर्व सांसद रघुवीरसिंह मीणा को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि भाजपा ने मौजूदा सांसद अर्जुनलाल मीणा पर फिर दावं खेला है। दोनों सलूम्बर तहसील के रहने वाले है तथा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी ये दोनों उम्मीदवार आमने सामने थे। बांसवाड़ा-डूंगरपुर संसदीय सीट से कांग्रेस ने तीन बार सांसद रहे पार्टी के राष्ट्रीय सचिव ताराचंद भगोरा को फिर मौका दिया है, जिनका मुकाबला भाजपा के पूर्व राज्य सभा सदस्य एवं राज्य में मंत्री रहे कनक मल कटारा से होगा।
गौरतलब है कि बीटीपी दक्षिणी राजस्थान में जनजाति उपयोजना में आने वाले जिलों एवं इनसे सटे गुजरात एवं मध्यप्रदेश के जिलों को मिलाकर अलग आदिवासी राज्य बनाने की मांग काफी समय से करती रही है।
रामसिंह जोरा
वार्ता