भोपाल, 26 फरवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज विधानसभा में कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के पतन के परिप्रेक्ष्य में कहा कि उसने सत्ता में आने के बाद अपने वादे पूरे नहीं किए और इसलिए वह गिर गयी। साथ ही उन्होंने 'आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश' की अवधारणा से सदन को अवगत कराते हुए इस लक्ष्य को हासिल करने में सभी से सहयोग का आह्वान किया।
श्री चौहान ने राज्यपाल के अभिभाषण पर पेश किए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर दो दिनों तक चली चर्चा का आज सदन में उत्तर दिया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में लगभग 01 घंटे 45 मिनट तक अपनी बात रखी। श्री कमलनाथ भी बीच बीच में अपना पक्ष रखकर विभिन्न मुद्दों को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए दिखायी दिए।
विपक्षी सदस्यों की शुरूआती टोकाटाकी के बीच श्री चौहान ने कहा कि श्री कमलनाथ ने चर्चा के दौरान कहा था कि जनता ने कचरा 2018 ( विधानसभा चुनाव) में ही साफ कर दिया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजे एकतरफा नहीं थे। भाजपा को उस समय कांग्रेस से ज्यादा प्रतिशत मत मिले, हालाकि भाजपा की सीट कुछ कम रह गयी थीं। इसलिए हमने तुरंत ही मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था। कांग्रेस को भी स्पष्ट बहुमत (114 सीट) नहीं था और भाजपा को 109 सीट हासिल हुयी थीं। हमें उम्मीद थी कि 15 सालों बाद सत्ता में परिवर्तन हुआ है, तो नयी सरकार अपने वादे के अनुरूप कार्रवाई करेगी।
श्री चौहान ने किसी नेता का नाम लिए बगैर कहा कि उन्होंने चुनाव के पहले सार्वजनिक मंचों से बार बार कहा था कि दस दिनों में किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ तो 11 वें दिन मुख्यमंत्री को हटा दिया जाएगा। श्री चौहान ने कहा कि कांग्रेस को किसान कर्जमाफी के वादे के कारण ही बढ़त मिली थी, लेकिन उसने यह कार्य नहीं किया। इसके अलावा कांग्रेस सरकार के मुखिया ने अपने विधायकों की बात ही नहीं सुनी। भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ दमन की कार्रवाई प्रारंभ कर दी गयी। इन सब कारणों से हम और अधिक सक्रिय हुए तथा कांग्रेस सरकार का 15 माह में ही पतन हो गया।
श्री चौहान ने आकड़ों का विस्तार से हवाला देते हुए कहा कि किसान ऋण माफी का वादा पूरा करने के लिए 60 हजार करोड़ रुपयों के बजट की आवश्यकता थी, लेकिन इस मद में सात हजार करोड़ रुपए ही व्यय किए। जबकि भाजपा ने सत्ता में आते ही किसानों के खातों में विभिन्न मदों में 80 हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा की राशि 11 माह में उपलब्ध करा दी। वहीं कांग्रेस सरकार ने फसल बीमा का प्रीमियम भी जमा नहीं किया। अन्य कल्याणकारी योजनाएं भी रोक दी गयीं।
शुरूआत में श्री कमलनाथ बार बार उठे और श्री चौहान की बात का तत्काल जवाब देने का प्रयास करते रहे। श्री चौहान ने भी तुरंत ही पूर्व मुख्यमंत्री की बात का जवाब दिया। आखिरकार श्री कमलनाथ को कहना पड़ा कि वे आकड़ों के मामले में श्री चौहान से नहीं जीत सकते हैं। इसके अलावा श्री कमलनाथ ने श्री चौहान को भरोसा दिलाया कि वे रोजगार और निवेश लाने के मुद्दे पर सरकार की हरसंभव मदद करेंगे। श्री चौहान ने भी कहा कि राज्य के विकास संबंधी मामलों में हम सभी को मिलजुलकर कार्य करना होगा।
श्री चौहान के उत्तर के बाद ध्वनिमत के जरिए धन्यवाद प्रस्ताव स्वीकृत और संशोधन प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिए गए।
सोमवार को बजट सत्र की शुरूआत राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण से हुयी थी। इस पर धन्यवाद प्रस्ताव वरिष्ठ विधायक डॉ सीतासरन शर्मा की ओर से पेश किया गया था और विपक्ष की ओर से संशोधन लाए गए थे। तय समय के अनुरूप प्रस्ताव और संशोधनों पर बुधवार और गुरुवार को चर्चा हुयी और अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष के समय की अनुकूलता के मद्देनजर मुख्यमंत्री के जवाब के लिए आज शुक्रवार का दिन निर्धारित किया था, जिससे श्री कमलनाथ भी उत्तर के दौरान मौजूद रह सकें।
प्रशांत
वार्ता