चंडीगढ़, दो मार्च(वार्ता) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर जबावी हमला बाेलते हुये आज कहा कि उनकी सरकार राज्य पर 98000 करोड़ रूपये का कर्ज छोड़ गई थी।
श्री खट्टर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि श्री हुड्डा के राज्य पर भारी कर्ज का बोझ चढ़ाने के मौजूदा सरकार पर लगाये गये आरोपाें के जबाव में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को आंकड़ों की सही जानकारी नहीं है। कांग्रेस सरकार वर्ष 2014 में जब सत्ता से गई थी तब राज्य पर वह 98,000 करोड़ रुपये का कर्ज छोड़ गई थी। उन्होंने कहा कि श्री हुड्डा हमेशा कहते हैं कि जब उनका कार्यकाल समाप्त हुआ, तब राज्य सरकार पर 60,000 करोड़ रुपये का ऋण था, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह उनकी सरकार के समय 60 हजार करोड़ रुपये में बिजली कम्पनियों के 27,860 करोड़ रुपये के कर्ज नहीं जोड़ते।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भाजपा 2014-15 में सत्ता में आई तब उदय योजना के तहत बिजली कम्पनियों का 27,860 करोड़ रुपये का कर्ज सरकार के कर्ज में समायोजित किया गया, ताकि इन कम्पनियों पर अधिक बोझ न पड़े। इस कारण ही सरकार के कुल कर्ज में वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि नवम्बर 2014-15 तक कांग्रेस कार्यकाल में 70,900 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था और अगर इसमें बिजली कम्पनियों का 27,860 करोड़ रुपये का कर्ज जोड़ दिया जाए तो कुल कर्ज 98 हजार करोड़ रुपये बनता है। इस तरह विपक्ष के नेता 38,000 करोड़ रुपये के बारे में झूठ बोल जाते हैं।
श्री खट्टर ने कहा कि गत छह सालों में प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) बढ़ा है। जब कांग्रेस सरकार गई थी, तब 2014-15 में प्रदेश की जीडीपी 3.99 लाख करोड़ रुपये थी जो उनकी सरकार में बढ़कर 8.58 लाख करोड़ रुपये हो गई है। जीडीपी का 25 फीसदी तक कुल कर्ज लिया जा सकता है। वर्तमान में प्रदेश सरकार का कर्ज 22.8 फीसदी है। उन्होंने कहा कि वित्तीय जबावदेही एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) एक्ट के तहत तीन फीसदी तक कर्ज और भी लिया जा सकता है और इस साल तो केंद्र ने इसे बढ़ाकर पांच फीसदी कर दिया था लेकिन प्रदेश सरकार ने अपनी सीमा में ही कर्ज लिया है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में आबकारी राजस्व दुगुना हो गया है। वर्ष 2013-14 में आबकारी राजस्व 3697 करोड़ रुपये, वर्ष 14-15 में 3470 करोड़ रुपये, वर्ष 2015-16 में 4300 करोड़ रुपये, वर्ष 2016-17 में 4600 करोड़ रुपये, वर्ष 2017-18 में 4900 करोड़ रुपये, वर्ष 2018-19 में 6000 करोड़ रुपये, वर्ष 2019-20 में 6343 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था और वर्ष 2020-21 में अब तक 7000 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है। यं आंकड़े स्पष्ट दर्शाते हैं कि राजस्व लगातार बढ़ा है।
मुख्यमंत्री के अनुसार इसी तरह वर्ष 2013-14 में जीएसटी-वैट के रूप में 16,700 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। वर्ष 2014-15 में यह 18,900 करोड़ रुपये, वर्ष 2015-16 में 21,000 करोड़ रुपये, वर्ष 2016-17 में 23,400 करोड़ रुपये, वर्ष 2017-18 में 26,400 करोड़ रुपये, वर्ष 2018-19 में 27,800 करोड़ रुपये, वर्ष 2019-20 में 32,600 करोड़ रुपये तथा वर्ष 2020-21 में यह और बढ़ कर 36,000 करोड़ रुपये हो गया है।
रमेश2255वार्ता