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भाजपा के गढ़ मुरैना में कांग्रेस को दिख रही उम्मीद

भाजपा के गढ़ मुरैना में कांग्रेस को दिख रही उम्मीद

मुरैना, 20 मार्च (वार्ता) राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटी मध्यप्रदेश की मुरैना-श्योपुर संसदीय सीट लंबे समय से भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गढ़ बनी हुई हो, पर प्रदेश में करीब तीन महीने पहले सत्ता में कांग्रेस की वापसी से पार्टी में यहां जीत की आशा जगा दी है।

इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रभाव के चलते यहां त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनती है। वर्तमान में स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे और भाजपा नेता अनूप मिश्रा यहां से सांसद हैं, जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा के वृन्दाबन सिंह सिकरवार को हराया था।

बसपा ने इस बार यहां से डाॅ रामलखन कुशवाह को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। ऐसे में भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर या मौजूदा सांसद अनूप मिश्रा पर ही दांव खेल सकती है, वहीं कांग्रेस के खेमे से पूर्व मंत्री रामनिवास रावत का नाम चर्चा में है।

इस संसदीय सीट पर पिछले दो दशक से भी अधिक समय से भाजपा काबिज है परंतु हाल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने संसदीय क्षेत्र की आठ में से सात विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की। उसकी निगाह अब इस लोकसभा सीट को अपनी झोली में डालने पर है। कांग्रेस अब तक यह सीट तीन बार जीत पायी है जबकि भाजपा को सात बार सफलता मिली है।

मुरैना लोकसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई। यहां पहले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी आत्मदास ने जीत हासिल की। इसके अगले चुनाव में जनसंघ के हुकम चंद कछवाह यहां से जीते। कांग्रेस का इस सीट पर 1980 में खाता खुला। इस चुनाव में कांग्रेस के बाबूलाल सोलंकी यहां से सांसद बने। अगली बार भी उन्हें ही जीत हासिल हुई।

वहीं 1989 में ये सीट छविराम अर्गल के माध्यम से पहली बार भाजपा की झोली में गई लेकिन अगला चुनाव वह हार गए और कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की। साल 1991 के चुनाव में कांग्रेस के बारेलाल जाटव ने छविराम अर्गल (भाजपा) को हरा कर यह सीट पार्टी की झोली में डाली। वर्ष 1996 में छविराम अर्गल की मृत्यु के बाद यहां से भाजपा ने उनके पुत्र अशोक अर्गल को उतारा और वह बसपा के पीपी चौधरी को हराकर सांसद बने। उसके बाद बाद से यह सीट भाजपा के कब्जे में है। वर्ष 2009 में श्री तोमर ने यहां कांग्रेस के श्री रावत को हराया था।

यह सीट 1967 से 2004 तक अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित थी, लेकिन 2009 में परिसीमन के बाद यह सामान्य वर्ग के लिये हो गई। इस संसदीय क्षेत्र में श्योपुर की श्योपुर और विजयपुर, मुरैना की सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी और अंबाह विधानसभा सीटें शामिल हैं। इस सीट पर छठवें चरण में 12 मई को मतदान होगा।

 

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