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प्राकृतिक संतुलन के लिये जल, जंगल, जमीन का संरक्षण आवश्यक : पटेल

प्राकृतिक संतुलन के लिये जल, जंगल, जमीन का संरक्षण आवश्यक : पटेल

भोपाल, 27 अगस्त(वार्ता) मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा है कि बिगड़ते हुए प्राकृतिक संतुलन को संवारने के लिये जल, जंगल, जमीन का संरक्षण आवश्यक है। यह सामुदायिक भागीदारी से संभव है।

आघिकारिक जानकारी के अनुसार श्री पटेल ने यह बात म.प्र. जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान, क्लब ऑफ रोम इंटरनेशनल संस्था तथा राजीव गांधी फांउडेशन के संयुक्त तत्वावधान में 'री-जनरेटिंग नेचुरल कैपिटल लैण्ड, वाटर एण्ड फॉरेस्ट' पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में कही।

श्री पटेल ने कहा कि भारत सहित अन्य विकसित और विकासशील देशों में विकास की दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किया गया है। इसका परिणाम है कि प्रकृति द्वारा नि:शुल्क प्रदत्त जल, जंगल, जमीन का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है। उन्होंने कहा कि अगर अभी भी हम नहीं चेते तो परिणाम भयावह होंगे। इसके लिये समाज को भी आगे आना चाहिए।

जनसम्पर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने कहा कि जल, जंगल, जमीन तीनों एक-दूसरे के पर्याय हैं। पर्यावरण संतुलन के लिये तीनों में सांमजस्य जरूरी है। उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी ने भोपाल प्रवास के दौरान कहा था कि 'भोपाल बहुत सुन्दर शहर है, इसे और सुन्दर बनाने की आवश्यकता है।' भोपाल शहर के मध्य स्थित तालाब, पहाड़, जंगल प्राकृतिक सौन्दर्य को दो-गुना करता है।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्द्धन सिंह ने कहा कि गत वर्षों में भू-जल के बिना सोचे-समझे दोहन ने गंभीर स्थिति निर्मित कर दी है। उन्होंने कहा कि पेयजल के लिए भू-जल पर निर्भरता कम करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए पानी के आडिट का काम हाथ में लिया गया है। राइट-टू- वाटर के तहत प्रत्येक व्यक्ति को पर्याप्त, शुद्ध और नियमित पेयजल आपूर्ति का लक्ष्य है।

संचालक वाल्मी श्रीमती उर्मिला शुक्ला ने बताया कि कार्यशाला में प्रकृति की अमूल्य धरोहर को सहेजने संवारने के संबंध में विषय विशेषज्ञों द्वारा दिये गये सुझावों पर एक रिसर्च पेपर तैयार कर मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

कार्यशाला में क्लब ऑफ रोम के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अरूण कुमार साहनी, प्लांनिग कमीशन ऑफ इंडिया एवं इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल के पूर्व सदस्य डॉ. किरीट पारिख, लेफ्टिनेंट जनरल बलवीर सिंह सन्धू, डॉ. अशोक खोसला, राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेमपरेरी स्टडीज के निदेशक विजय महाजन सहित अन्य विषय-विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखे।

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