नयी दिल्ली, 31 जुलाई (वार्ता) कोरोना महामारी ने दुनिया को जितना बड़ा संकट दिया है उसके गंभीर परिणाम तो आने वाले दिनों में सबको देखने को मिलेंगे लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इस कोरोना काल ने हमें सोचने का नया मौका भी दिया है।
यह विचार ग्रामीण बैंक के संस्थापक और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बातचीत में व्यक्त किये। इस बातचीत का वीडियो श्री गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है जिसमें प्रो. यूनुस ने कहा “कोरोना ने हमें सोचने का अवसर दिया है कि हम उस भयानक दुनिया में जाएं जो अपने आप को तबाह कर रही है या हम एक नई दुनिया के निर्माण की तरफ जाएं जहां पर ग्लोबल वार्मिंग, केवल पूंजी आधारित समाज, बेरोजगारी नहीं होगी।”
उन्होंने कहा कि अगर आप लोगों के हित के लिए कुछ कर रहे हैं तो कोई भी उसे नष्ट नहीं कर सकता। अच्छे काम में अवरोध आते हैं और ये सब अवरोध अस्थायी अव्यवस्था का हिस्सा होते है। आपके किये अच्छे काम वापस आ जाएंगे क्योंकि यह काम लोगों के लिए हुआ है क्योंकि अच्छे विचार अटूट होते हैं।
प्रोफेसर यूनुस ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के साथ उस दुनिया में क्यों वापस जाना है, जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता हर किसी से रोजगार छीन रही है। अगले कुछ दशकों में व्यापक बेरोजगारी पैदा होने वाली है। कोरोना ने हमें सोचने का नया मौका दिया है।
उन्होंने कहा “हमें प्रवासी मजदूरों को पहचानना होगा। अर्थव्यवस्था इन लोगों को नहीं पहचानती है। वह इसे अनौपचारिक क्षेत्र कहते हैं, जिसका मतलब है कि हमारा उनसे कोई लेना-देना नहीं है, वह अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं। हम औपचारिक क्षेत्र के साथ व्यस्त हैं। हम इसके बजाय एक अलग समानांतर अर्थव्यवस्था, स्वायत्त अर्थव्यवस्था के रूप में ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का निर्माण क्यों नहीं कर सकते। प्रौद्योगिकी ने हमें वह सुविधा दी है जो पहले कभी नहीं थी।
अभिनव, यामिनी
वार्ता