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देश में स्वास्थ्य बीमा का दायरा व्यापक किया जाना चाहिए: वेंकैया नायडू

देश में स्वास्थ्य बीमा का दायरा व्यापक किया जाना चाहिए: वेंकैया नायडू

चेन्नई, 02 दिसंबर(वार्ता) उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने देश में व्यक्तिगत स्तर पर बहुत ही कम स्वास्थ्य बीमा कवरेज पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इसका दायरा बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।

श्री नायडू ने आज यहां रेनबो बाल अस्पताल का उद्घघाटन करने के मौके पर कहा कि देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में यह सबसे बड़ी चिंता की बात है कि स्वास्थ्य बीमा का दायरा बहुत ही कम है और व्यक्तिगत तौर पर मात्र दो प्रतिशत तथा कारपोरेट स्तर पर तीन प्रतिशत लोग ही स्वास्थ्य पालिसी लेते हैं।

उन्होंने कहा कि इसका सबसे प्रतिकूल असर उस समय देखने को मिलता है कि ऐसी किसी पालिसी नहीं होने पर अगर घर का कोई सदस्य बीमार पड़ जाए तो कुल आमदनी का तीन चौथाई हिस्सा अस्पताल के इलाज तथा दवाओं पर खर्च हो जाता है। कुछ राज्य सरकारों ने हालांकि गरीबी से नीचे रहने वाले परिवारों के लिए विशेष स्वास्थ्य बीमा पैकेज शुरू किए हैं लेकिन देश की अधिकतर आबादी को स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाए जाने की जरूरत हैं।

उन्होंने कहा कि नवजात शिशुओं और माताओं के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए अभी भी पूरी तरह से स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं और देश में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए प्रशिक्षित चिकित्सकों तथा नर्सिंग पेशेवरों की आवश्यकता हैं।बच्चों के लिए विशेष सुविधाओं से युक्त अस्पताल बनाए जाने की बेहद सख्त जरूरत है और निजी क्षेत्र को भी यह सुनिश्चित करना है कि गरीब लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच हो और यह उनके लिए वहनीय भी हो ।

श्री नायडू ने शिशु मृत्यु दर के आकलन पर संयुक्त राष्ट्र अंतर एजेंसी समूह की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि भारत में बच्चों तथा नवजात शिशुओं को दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा हुआ है।

उन्होंने कहा कि 2017 में भारत में शिशु मृत्यु दर का आंकड़ा 32 प्रति एक हजार जीवित जन्म (लाइव बर्थ) था और विश्व स्तर पर यह औसत12 था। इसके अलावा नवजात शिशुओं के बारे में यह आंकड़ा 24 प्रति एक हजार जीवित जन्म(लाइव बर्थ) था तथा वैश्विक औसत 18 है।

जितेन्द्र

वार्ता

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