राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़Posted at: Dec 12 2019 6:47PM भूमि अधिग्रहण मुआवजे के बारे में अदालत ने पूर्व के आदेश को पलटा
बिलासपुर 12 दिसम्बर(वार्ता)छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने भूमि अधिग्रहण के मुआवजे को कम करने की राज्य सरकार की अधिसूचना को अपने पूर्व के आदेश को पलटते हुए यथावत रखा है।
उच्च न्यायालय में बिलासपुर की अलका अग्रवाल ने राज्य सरकार के मुआवजे के निर्धारण के लिए 2014 में जारी की गई अधिसूचना को चुनौती दी थी।याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण की मुआवजा राशि एक गुणा तय कर दी थी जबकि केन्द्र सरकार ने मुआवजे की दर दो गुना तय की गई है। याचिका पर सुनवाई के बाद नवंबर 2018 में मुख्य न्यायाधीश की डबल बेंच ने राज्य शासन के नये नियम को निरस्त कर दिया था और याचिकाकर्ता को दो गुना मुआवजा देने का निर्देश दिया था।
राज्य शासन द्वारा इस आदेश के खिलाफ अपील पर गई।राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के पूर्व के अधिग्रहण पर नई दर लागू नहीं की जा सकती। याचिकाकर्ता की ओर से भी दो गुना मुआवजे के लिए याचिका दायर नहीं की गई है बल्कि अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई है। यदि पूर्व के अधिग्रहण पर विचार किया गया तो शासन पर हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा और ऐसे भू-स्वामियों का पता लगाकर उन्हें नये दौर से मुआवजा प्रदान करना व्यावहारिक नहीं होगा।
राज्य सरकार के इस तर्क को स्वीकार करते हुए आज उच्च न्यायालय ने पूर्व के अधिग्रहण पर मुआवजे की नई दर लागू करने के आदेश को निरस्त कर दिया।
हबीब.साहू
वार्ता