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शिक्षा व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास का सृजन-मिश्र

शिक्षा व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास का सृजन-मिश्र

अजमेर 03 दिसम्बर (वार्ता) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान नहीं बल्कि जीवन के सर्वांगीण विकास का माध्यम बताते हुए कहा है कि शिक्षा व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास का सृजन करती है।

श्री मिश्र आज अजमेर स्थित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के नवें दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए यह बात कही। उन्होंने विद्यार्थियों को अधिक से अधिक परिश्रम कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हुए कहा कि जीवन पथ पर बाधाओं को पार करते हुए चलते जाओ, चलते जाओ। उन्होंने कहा कि सही शिक्षा वह है जो व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास का सृजन करती हैं। शिक्षा वैचारिक प्रक्रिया को तेज करती है और यह मात्र किताबी ज्ञान नहीं है बल्कि जीवन के सर्वांगीण विकास का माध्यम है।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अर्जित शिक्षा और ज्ञान के बल का सदुपयोग स्वयं के साथ समाज, राष्ट्र एवं संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का लक्ष्य सिर्फ उपाधि पाकर जीविका का उपार्जन करना ही नहीं है बल्कि इसका सही उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास, अनुशासन, स्वावलंबन, चरित्र निर्माण, समाज और मनुष्यता के प्रति सेवा और समर्पण का भाव होना है। उन्होंने कहा कि दीक्षार्थी ये न समझे कि उनकी शिक्षा का समापन हो गया। वास्तव में यह शिक्षा का समापन नहीं बल्कि जीवन की एक नई शुरुआत है।

उन्होंने कहा कि आज के भारतीय युवा ज्ञान और कौशल से पूरे विश्व में वर्चस्व बनाए हुए हैं। भारत की युवा प्रतिभाएं बतौर वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर, प्रबंधक, शिक्षक, सूचना तकनीक के विशेषज्ञ के तौर पर विश्व में अपने राष्ट्र की कीर्ति बढ़ा रहे हैं जो गर्व का विषय है। उन्होंने प्रदेश में बढ़ते जलसंकट पर अपनी बात रखते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होने के नाते उन्होंने जल संरक्षण के विशेष निर्देश दिए है। उर्जा संरक्षण, पौधारोपण, वन संरक्षण वर्तमान की ही नहीं भावी पीढ़ियों के लिए भी चुनौती है।

उन्होंने समारोह के प्रारंभ में संविधान तथा नागरिकों के मूल कर्तव्य की शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि संविधान हमारा मार्गदर्शक है एवं मूलग्रंथ है। मौलिक अधिकार और कर्तव्य ये दोनों ही संविधान के प्रमुख स्तंभ है। उन्होंने आह्वान किया कि विश्वविद्यालयों में युवाओं को मूल कर्तव्यों का ज्ञान कराने के लिए अभियान चलाया जाए, क्योंकि आज के समय में देश की युवा पीढ़ी को मूल कर्तव्यों के बारे में बताया जाना आवश्यक है और इसके लिए प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों में छोटी छोटी गोष्ठियों एवं सेमिनार का आयोजन होना चाहिए।

इस अवसर पर मैग्सेसे पुरस्कार विजेता जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने प्रदेश ही नहीं देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों को जल संरक्षण के लिए सक्रिय करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की शिक्षा में जल के पोषण को शामिल करना होगा और ऐसी शिक्षा देनी पड़ेगी जिससे जल उपयोग दक्षता बढ़े और राज्यों को पानीदार बनाने के लिए सभी विश्वविद्यालयों को जल संरक्षण के काम में सक्रिय होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि देश में जल सुरक्षा कानून बनाने की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही इसे लागू किया जाएगा लेकिन यदि भारत को एकबार पुनः विश्वगुरु बनाना है तो इसकी शुरुआत एकबार फिर जल से ही करनी पड़ेगी क्योंकि जल ही समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है और प्रकृति को पुनर्जीवित करने के लिए यही एकमात्र साधन है। इस दिशा में विश्वविद्यालयों से अच्छा माध्यम कोई हो ही नहीं सकता।

उन्होंने राज्यपाल से प्रदेश के विश्वविद्यालयों को इस दिशा में सक्रिय करने की अपील भी की। समारोह के मुख्य अतिथि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि प्रदेश सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक एवं महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। इस वर्ष पचास नये महाविद्यालय खोले गए हैं। साथ ही हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय तथा डॉ. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय को भी सक्रिय किया गया है। उन्होंने कहा कि नये नवाचारों के माध्यम से राज्य सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कमी नहीं आने देगी।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 के लिए कुलाधिपति स्वर्ण पदक काजल उपाध्याय को राज्यपाल के हाथों दिया गया है। इसके अलावा राज्यपाल ने 33 स्वर्ण पदक तथा 18 शोध उपाधियां भी वितरीत की। समारोह में विधायक वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल, सुरेश सिंह रावत तथा शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन, विश्वविद्यालय प्रबंधन एवं शैक्षणिक बोर्ड के प्रतिनिधि तथा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

अनुराग जोरा

वार्ता

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