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विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में वर्षों से लम्बित डिग्रियां निःशुल्क वितरित की जायें:आनंदीबेन

विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में वर्षों से लम्बित डिग्रियां निःशुल्क वितरित की जायें:आनंदीबेन

लखनऊ, 29 सितम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में वितरण के लिए लम्बित पड़ी पुरानी डिग्रियों तथा भविष्य में दीक्षान्त के उपरान्त छात्रों को अविलम्ब डिग्री वितरण का निर्देश दिया है।

राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने बुधवार को यहां अवगत कराया है कि राज्य विश्वविद्यालयों से प्राप्त विवरण में विभिन्न विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में विगत वर्षों के छात्रों की डिग्रियों का वितरण शेष होना राज्यपाल के संज्ञान में आया है। इनमें से कई डिग्रियां 10-12 वर्ष या उससे भी अधिक पुरानी हैं।

उन्होंने बताया कि राज्यपाल जी ने कहा है कि इसके लिए ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिससे लम्बित डिग्रियों का शीघ्र वितरण हो सके और भविष्य में दीक्षान्त के तत्काल बाद सभी छात्रों को उनकी डिग्रियां तत्काल वितरित हो जाएं। उन्होंने कहा है कि बहुत पुरानी डिग्री प्राप्त करने में छात्रों में रूचि का भी अभाव है। पुरानी डिग्रियों को सुरक्षित रखने का कार्य भी विश्वविद्यालयों द्वारा किया जा रहा है। इसलिए पुरानी डिग्रियों के वितरण में अनावश्यक नियमों को शिथिल करके छात्रों को उनकी डिग्री प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि राज्यपाल की मंशा के अनुरूप इस संदर्भ में गठित कमेटी से विचार-विमर्श कर यह निर्णय लिया गया है कि लम्बित डिग्रियों को वितरित करने के लिए उपाधि शुल्क लेने की बाध्यता को समाप्त कर दिया जाए और यह सभी डिग्रियां निःशुल्क वितरित की जायें।

उन्होंने बताया चूंकि पुराने छात्रों को अंतिम अंकपत्र पर प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट जारी किए गए होंगे, इसलिए उनके डिग्री वितरण में अब अदेयता प्रमाण-पत्र की आवश्यकता शिथिल किये जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कमेटी में निर्णय लिया गया है कि डिग्री भेजने के लिए इन छात्रों से कोई आवेदन पत्र नहीं लिया जाये तथा लम्बित डिग्री वितरण में दी जा रही छूटों का समुचित प्रचार-प्रसार किया जाये और अभियान चलाकर छात्रों को डिग्री उपलब्ध करा दी जाए।

श्री गुप्ता ने बताया कि कमेटी द्वारा छात्रों को अविलम्ब डिग्री वितरण के लिए पांच बिन्दुओं पर व्यवस्था निर्धारित कराने के निर्णय लिये गये हैं जिसमें सभी विश्वविद्यालयों द्वारा अनिवार्य रूप से डिजी लॉकर में डिग्री उपलब्ध कराना, छात्रों से उपाधि शुल्क शिक्षा सत्र के अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर की फीस के साथ जमा करा लिया जाना, छात्रों को अंतिम अंकपत्र या प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट देने से पूर्व उनसे अदेयता प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लेना, छात्र को डाक से डिग्री भेजने के विकल्प के लिए उसका पता प्राप्त कर लेना शामिल है। इसके साथ ही डिग्री भेजने के लिए छात्रों से कोई आवेदन पत्र न लेने का बिन्दु भी शामिल है।

गौरतलब है कि प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालयों की कुलाधिपाति श्रीमती आनंदीबेन पटेल द्वारा विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में डिग्रियों के शत्-प्रतिशत वितरण को सुनिश्चित कराने के लिए अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय कमेटी गठित है। जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय,महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी, डा0 भीमराव विश्वविद्यालय आगरा, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, शकुन्तला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर, केजीएमयू, एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, भातखण्डे संगीत संस्थान (अभिमत) विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी शिक्षा बतौर सदस्य शामिल हैं।

त्यागी

वार्ता

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