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लोकरुचि


सर्द मौसम से ‘लाला’ की ग्रीष्मकालीन सेवा में देरी

सर्द मौसम से ‘लाला’ की ग्रीष्मकालीन सेवा में देरी

मथुरा, 15 मार्च  (वार्ता) उत्तर प्रदेश की कान्हा नगरी मथुरा में वृन्दावन के सप्त देवालयों में शुमार राधारमण मंदिर में बदलते मौसम के कारण ग्रीष्मकालीन सेवा मेे विलम्ब हो रहा है तथा अब भी ठाकुर जी की हल्की शीतकालीन सेवा चल रही है।

      राधारमण मंदिर के सेवायत आचार्य दिनेशचन्द्र गोस्वामी ने रविवार को बताया कि वृन्दावन के सप्त देवालयों में मशहूर राधारमण मंदिर में ठाकुर की ‘आत्मवत’ सेवा होती है जिसमें सेवा भी मौसम के अनुकूल ही होती है। बाल स्वरूप सेवा होने के कारण इस बात का ध्यान रखा जाता है कि ‘लाला’ के ऊपर मौसम का विपरीत असर न पड़े। चूंकि वर्तमान में हल्की ठंड है इसलिए ही अभी ठाकुर की हल्की शीतकालीन सेवा चल रही है।

    उन्होंने बताया कि इस मंदिर में सेवा पूजा चैतन्य महाप्रभु के शिष्य गोपाल भट्ट स्वामी द्वारा प्रतिपादित विधि विधान से होती है क्योंकि इस मंदिर के विगृह के बारे में कहा जाता है

   ‘गोविन्द सौ मुख, गोपीनाथ कौ सेा हिय मदनमोहन के राजत चरण हैं।’

      गोस्वामी ने बताया कि मान्यता है कि ठाकुर का श्रंगार बहुत सुन्दर करने के कारण गोपाल भट्ट स्वामी  गोविन्द देव, गोपीनाथ एवं मदन मोहन मंदिर में नित्य ठाकुर का श्रंगार करने जाते थे तथा उसके साथ ही राधारमण मंदिर के श्रीविगृह का भी श्रंगार करते थे। जब वे वृद्ध हो गए तो उन्हें चार चार मंदिरों का श्रंगार करने में कुछ परेशानी होने लगी क्योंकि निर्धारित समय में चारों मंदिरों के विगृह का श्रंगार करना मुश्किल हो जाता।


इसके बाद उन्होंने एक दिन राधारमण महराज से अनुनय विनय की  और अपनी परेशानी बताते हुए प्रार्थना की कि राधारमण महराज में ही अन्य तीनो विगृह का समावेश हो जाय।ठाकुर ने अपने भक्त की पुकार  सुनी और चारो मंदिरों के विगृह राधारमण महराज में ही समाहित हो गए। इस विगृह का मुख गोविन्ददेव मंदिर के विगृह की तरह, हृदय गोपीनाथ मंदिर के विगृह की तरह और चरणकमल मदनमोहन मंदिर के विगृह के रूप में हो गये। इसलिए अति वृद्ध होने पर वे इसी मंदिर के विगृह का श्रंगार करने लगे।

       गोस्वामी के अनुसार सामान्यतया होली के बाद ग्रीष्णकालीन सेवा अधिकांश मंदिरों में प्रारंभ हो जाती है ।इस मंदिर में भी अभी विशेष होली सेवा का समापन हुआ जिसमें ठाकुर ने भक्तों के संग पंचरंगी होली खेली। उन्होंने न केवल रंग और गुलाल से होली खेली बल्कि केशर, इत्र एवं फूलों की भी होली खेली तथा इस अवसर पर भक्तों ने उस ’’डोर कौपीन’’ के भी दर्शन किये जिसे चैतन्य महाप्रभु ने गोपाल भट्ट स्वामी को दिया था।  

        उन्होने बताया कि चूंकि मौसम में अभी ठंडक है तथा इसका लाला के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है इसलिए वर्तमान में हल्की शीतकालीन सेवा ही चल रही है। मौसम सही होने पर ही इस मंदिर की ग्रीष्मकालीन सेवा प्रारंभ होगी।

         गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में सात्विकता, शुचिता एवं सेवा का जो भाव रहता है उससे जो भक्त अपने आप को रंग लेते हैं ठाकुर उनकी ही सुनने लगते हैं। गोपाल भट्ट स्वामी ने ठाकुर की इसी भाव से सेवा की इसी वजह से ठाकुर ने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए अपने विगृह तक में परिवर्तन कर दिया।  गोस्वामी ने कहा कि  इस मंदिर का विगृह साधारण विगृह नही है तथा जिस किसी ने ठाकुर के चरण पूरी भक्ति भाव से गृहण किये उसकी दुनिया ही बदल जाती है। कुल मिलाकर इस मंदिर में वर्ष पर्यन्त भक्ति ठाकुर के सामने नृत्य करती रहती है।

सं प्रदीप

वार्ता
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