नयी दिल्ली 16 सितम्बर (वार्ता) दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने राजधानी के सभी 10 ऐतिहासिक गुरुद्वारों में लंगर बनाने के लिए बायो गैस प्लांट स्थापित करने का फैसला किया है ताकि लंगर की रसोई में बचे खाद्य पदार्थों का अधिकतम सदुपयोग करके इसे क्लीन एनर्जी के रूप में प्रयोग किया जा सके। इससे गुरुद्वारा परिसरों को कूड़ा-कचरा तथा जूठन से पूरी तरह मुक्त किया जा सकेगा।
समिति के अध्यक्ष मंजीत सिंह ने बताया कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के अन्तर्गत कार्बन उत्सर्जन कम करने एवं पर्यावरण को सुधारने के लिए प्रारम्भ में रकाब गंज साहिब और बंगला साहिब गुरुद्वारों में बायो गैस प्लांट स्थापित किये जायेंगे जहाँ रोजाना लगभग 30-30 हज़ार लोग लंगर खाते हैं। सबसे ज्यादा बायो डिग्रेडेबल कुड़ा-कचरा भी इन्हीं दोनों गुरुद्वारों में एकत्र होता है। ये बायो गैस प्लांट अंतरराष्ट्रीय ख्याति की ऑर्गेनिक वेस्ट कन्वर्टर कम्पनी के सहयोग से स्थापित किये जायेंगे। एक मल्टी नेशनल कम्पनी अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के अधीन इस परियोजना को आर्थिक मदद प्रदान करने के लिए सहमत हुई है।
श्री सिंह ने कहा की दोनों गुरुद्वारों में रोजाना औसतन तीन क्विंटल कचरा होता है जिनमें बची सब्जियाँ, फल, बचा खाना आदि हैं जबकि प्रत्येक बायो गैस प्लांट औसतन चार क्विंटल कचरा, बची सब्जियों, फलों और बचे खाने को परिष्कृत कर सकता है। इन दोनों गुरुद्वारों में बायो गैस प्लांट अगले महीने से काम करना शुरू कर देंगे। इन की वार्षिक क्षमता 1,500
क्विंटल की है।
समिति के एनर्जी रिन्युअल विंग के मुखिया सरदार हरजीत सिंह ने बताया की समिति के नियन्त्रण में चल रहे सभी 10 गुरुद्वारों में वर्ष 2019 के अंत तक बायो गैस प्लांट स्थापित कर दिए जायेंगे। बायो गैस प्लांट से बनने बाली ऑर्गेनिक खाद का गुरुद्वारा परिसरों में पौधे लगाने में इस्तेमाल किया जायेगा। साथ ही आम लोगों को उचित कीमत पर खाद बेची भी जायेगी।