Tuesday, Apr 23 2024 | Time 16:31 Hrs(IST)
image
राज्य » राजस्थान


पेयजल योजना की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित

पेयजल योजना की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित

जयपुर, 05 मार्च (वार्ता) राजस्थान के जलदाय मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि राज्य के हितों के लिए राजस्थान में पक्ष और विपक्ष की दीवार तोड़नी होगी।

डॉ. कल्ला ने राजस्थान विधानसभा में आज मांग संख्या 27 (पेयजल योजना) की अनुदान मांग पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि एक बंधा हुआ गट्ठर बहुत कुछ कर सकता है। दक्षिण भारत में परम्परा है कि चाहे सरकार किसी भी पार्टी की हो, वे अपने राज्य के हक के लिए एकजुट होकर केंद्र के सामने अपना पक्ष मजबूती से रखते हैं। उन्होंने राज्य में जल जीवन मिशन में केंद्र सरकार की भागीदारी को 90 प्रतिशत करने, पूर्वी नहर परियोजना राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने, बीसलपुर को ब्राहम्णी नदी से जोड़ने तथा हरियाणा से यमुना का पानी लेने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ऐसी ही एकजुटता से आगे बढ़ने का आह्वान किया, जिससे राज्य में पेयजल आपूर्ति सेवाओं में सुधार हो सके।

चर्चा के बाद सदन ने पेयजल योजना की 83 अरब, 36 करोड़ 74 लाख 75 हजार रूपये की अनुदान मांग ध्वनिमत से पारित कर दी। उन्होंने चर्चा में भाग लेने वाले पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके द्वारा रखे गये उपयोगी सुझाव और समालोचना पर विभाग गंभीरता से कार्य करेगा।

जलदाय मंत्री ने कहा कि राज्य में अवैध कनेक्शनों की रोकथाम के लिए अगले तीन महीने तक विशेष अभियान चलाया जायेगा। इसके लिए उन्होंने सदन से ही विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इस अभियान में अवैध कनेक्शनों पर कार्यवाही होगी और टेलएंड तक पानी पहुंचाया जायेगा।

डॉ. कल्ला ने कहा कि वर्ष 2013 से पहले मरूस्थलीय क्षेत्रों के लिए 100 प्रतिशत ग्रांट मिलती थी और अन्य जिलों के लिए 90 प्रतिशत मिलती थी। इसके बाद यह ग्रांट 60ः40 के अनुपात में हुई और बाद में इसे घटाकर 50-50 प्रतिशत का अनुपात कर दिया गया। जल जीवन मिशन में केंद्र और राज्य की 45-45 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ ही 10 प्रतिशत राशि ग्रामीणों द्वारा वहन किये जाने का प्रावधान है। ग्रामीण इस 10 प्रतिशत राशि को वहन करने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार, राज्य में वर्ष 2024 तक जल जीवन मिशन के तहत घर-घर नल कनेक्शन देने के लिए दो लाख करोड़ रूपये की आवश्यकता है, जबकि केंद्र सरकार इस मिशन के लिए बजट 3.50 लाख करोड़ रूपये है।

उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की 50-50 प्रतिशत हिस्सेदारी के हिसाब से राज्य को इस मिशन के लिए एक लाख करोड़ रूपये की आवश्यकता है, जो राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए संभव नहीं है। यदि केंद्रीय भागीदारी को बढ़ाकर 90 प्रतिशत कर दिया जाये तो राज्य को मात्र 20 हजार करोड़ रूपये ही देने होंगे।

उन्होंने कहा कि निजी कॉलोनियों के विकास के समय प्राइवेट कॉलोनाइजर्स पानी एवं बिजली की सुविधाओं के लिए पूरा आधारभूत ढांचा विकसित नहीं करते। इससे लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। इस बारे में जल्द ही नई नीति लाने का प्रयास होगा। उन्होंने बताया कि ईसरदा प्रोजेक्ट पर जल संसाधन विभाग एवं पीएचईडी के अधिकारी मिलकर तेजी से कार्य कर रहे है। इससे न केवल दौसा बल्कि आसपास के क्षेत्रों को भी फायदा मिलेगा।

सुनील

वार्ता

image