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स्वास्थ्य को नागरिकाें का मौलिक अधिकार बनाने की मांग

स्वास्थ्य को नागरिकाें का मौलिक अधिकार बनाने की मांग

नयी दिल्ली 11 जून (वार्ता) जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले एक स्वयंसेवी संगठन ने केन्द्र सरकार से आयुष्मान भारत योजना में देश के 50 करोड़ गरीबों को पांच लाख रुपए के चिकित्सा बीमा की सुविधा का विस्तार करने और स्वास्थ्य को नागरिकों का मौलिक अधिकार घोषित करने की मांग की है।

जन स्वास्थ्य एवं समग्र मानव विकास फाउंडेशन के सदस्यों ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से मुलाकात करके यह मांग की। फाउंडेशन के मुखिया एवं स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने की लड़ाई लड़ रहे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने डॉ. हर्षवर्धन के साथ स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने से आम जनता को होने वाले फायदों के बारे में चर्चा की।

श्री कुमार ने आयुष्मान भारत के सफल क्रियान्वयन और मानसिक स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री को बधाई दी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने से सभी को अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से सुलभ होंगी। एक अन्य संगठन स्वास्थ्य सेना के राष्ट्रीय संयोजक धीरज राय ने कहा कि स्वास्थ्य मौलिक अधिकार में न शामिल होने से मरीजों को बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ता है।

स्वास्थ्य सेना के राष्ट्रीय महासचिव रत्नाकर सिंह ने डॉ. हर्षवर्धन जी का फूल माला पहनाकर स्वागत किया। जन स्वास्थ्य एवं समग्र मानव विकास फाउंडेशन की सचिव श्रीमती तनूजा सिन्हा, अनिल भंडारी, ज्योति पाठक, राहुल सिंह, राकेश कुमार, मंगलम कुमार, रत्नेश कुमार, प्रियम कुमार आदि नेे भी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री से भेंट कर यह मांग दोहरायी।

 

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