Saturday, Dec 14 2024 | Time 13:30 Hrs(IST)
image
भारत


बिना उचित प्रक्रिया घर तोड़ना पड़ा उप्र सरकार को महंगा, 25 लाख मुआवजा देने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश

बिना उचित प्रक्रिया घर तोड़ना पड़ा उप्र सरकार को महंगा,  25 लाख मुआवजा देने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश

नयी दिल्ली, 06 नवंबर (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने 'बिना उचित प्रक्रिया के पालन' बुलडोजर से एक पत्रकार का घर गिराने पर उत्तर प्रदेश सरकार को पीड़ित को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का बुधवार को आदेश दिया।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वर्ष 2019 में महाराजगंज जिले में सड़क चौड़ीकरण की एक परियोजना के लिए पत्रकार मनोज टिबरेवाल का घर गिराने के मामले में सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

पीठ ने मुआवजा देने का निर्देश देते हुए कहा कि अदालत के इस आदेश की प्रति सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को भी भेजी जाए।

पीठ ने मुआवजा देने का आदेश पारित करते हुए कहा, “आप (सरकार) बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए बुलडोजर लेकर नहीं आ सकते और रातों-रात घर को ध्वस्त नहीं कर सकते।'

शीर्ष अदालत ने राज्य के अधिकारियों को तोड़फोड़ करने पर फटकार लगाई और इसे “अराजकता” करार दिया।

पीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को महाराजगंज जिले में अवैध तोड़फोड़ की जांच करने का निर्देश दिया।

न्यायालय ने पत्रकार मनोज टिबरेवाल आकाश द्वारा भेजी गई शिकायत के आधार पर 2020 में स्वत: संज्ञान करवाई की थी। टिबरेवाल का महाराजगंज जिले में स्थित घर 2019 में तोड़ दिया गया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ भटनागर और अधिवक्ता शुभम कुलश्रेष्ठ ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष आकाश का पक्ष रखा।

राज्य सरकार ने दावा किया कि आकाश ने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण किया है।

पीठ ने राज्य के वकील से पूछा, "आप कहते हैं कि वह 3.7 मीटर तक अतिक्रमण था। हम इसे स्वीकार करते हैं। हम उसे इसके लिए प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं। लेकिन, आप इस तरह से लोगों के घरों को कैसे ध्वस्त करना शुरू कर सकते हैं।"

अदालत ने राज्य के अधिकारियों से उचित प्रक्रिया का पालन करने में विफल रहने पर सवाल उठाया, क्योंकि दावा किया गया था कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था।

पीठ ने राज्य सरकार से पूछा, "आप केवल साइट पर गए और लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों को सूचित किया।"

अदालत को बताया गया कि 100 से अधिक अन्य निर्माण भी ध्वस्त कर दिए गए थे। इसके बारे में लोगों को केवल सार्वजनिक घोषणाओं के माध्यम से जानकारी दी गई थी।

पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद महसूस किया कि अधिकारियों को परिवारों को खाली करने के लिए समय देना चाहिए था।

अदालत ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक रिपोर्ट पर भी भरोसा किया कि अधिकतम 3.70 मीटर तक अतिक्रमण था, लेकिन इसकी वजह से पूरे घर को ध्वस्त करने का औचित्य नहीं था।

आयोग ने याचिकाकर्ता को अंतरिम मुआवजा देने, मामले में मुकदमा दर्ज करने और अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने की सिफारिश की थी।

शीर्ष अदालत के समक्ष पीड़ित पत्रकार का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ भटनागर और अधिवक्ता शुभम कुलश्रेष्ठ ने रखे।

बीरेन्द्र,आशा

वार्ता

More News
मोदी ने राज कपूर की 100वीं जयंती पर उन्हें अर्पित की श्रद्धांजलि

मोदी ने राज कपूर की 100वीं जयंती पर उन्हें अर्पित की श्रद्धांजलि

14 Dec 2024 | 1:08 PM

नयी दिल्ली 14 दिसंबर (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सिनेमा के शोमैन राज कपूर को उनकी 100वीं जयंती के मौके पर शनिवार को उन्हें नमन किया और श्रद्धांजलि अर्पित की1

see more..
आडवाणी की तबीयत बिगड़ी, अपोलो अस्पताल में कराया गया भर्ती

आडवाणी की तबीयत बिगड़ी, अपोलो अस्पताल में कराया गया भर्ती

14 Dec 2024 | 11:57 AM

नयी दिल्ली 14 दिसंबर (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को शुक्रवार देर रात दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

see more..
सीडीपीएचआर ने बंगलादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी पर की तीखी भर्त्सना

सीडीपीएचआर ने बंगलादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी पर की तीखी भर्त्सना

13 Dec 2024 | 11:01 PM

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (वार्ता) सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लूरलिज़म, एण्ड ह्यूमन राइट्स (सीडीपीएचआर) संगठन ने शुक्रवार को बंगलादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी पर तीखी भर्त्सना की।

see more..
image