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बिहार में सूर्योपासना के महापर्व छठ पर डूबते सूर्य को अर्घ्य

बिहार में सूर्योपासना के महापर्व छठ पर डूबते सूर्य को अर्घ्य

पटना 13 नवम्बर (वार्ता) बिहार में सूर्योपासना के महापर्व छठ के अवसर पर आज व्रतधारियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़ा होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित किया ।

गंगा नदी में हजारों महिला और पुरूष व्रतधारियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया । इस अवसर पर लाखों लोगों ने पवित्र गंगा नदी में स्नान भी किया। सुबह से ही आज गंगा नदी की ओर जाने वाले सभी मार्ग छठ व्रत एवं सूर्य आराधना के भक्तिपूर्ण एवं कर्णप्रिय गीतों से गुंजायमान थे ।

पटना जिला प्रशासन ने गंगा नदी के घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये हैं। प्रशासन की ओर से गंगा नदी में नौका के परिचालन पर भी कल दोपहर तक के लिए रोक लगा दी गयी है । छठ घाटों पर पटाखा छोड़ने पर भी प्रतिबंध है । सभी घाटों पर सुरक्षा के मद्देनजर राज्य आपदा बल(एसडीआरएफ) के जवानों की तैनाती भी की गयी है ।

छठ व्रतियों के लिये गंगा घाटों को साफ सुथरा किया गया है और विशेष रूप से सजाया भी गया है । इसके साथ ही गंगा नदी की ओर जाने वाले मार्गो पर तोरण द्वारा बनाये गये है और पूरे मार्ग को रंगीन बल्बो से सजाया गया है ।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 7 सर्कुलर रोड स्थित सरकारी आवास में छठ पर्व मनाया जा रहा है जहां पूजा के लिये एक छोटे तालाब का निर्माण कराया गया है । इसी तालाब में मुख्यमंत्री के बड़े भाई की पत्नी ने भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया । बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी ने अस्वस्थता की वजह से इस बार छठ नहीं किया है ।

         बिहार के औरंगाबाद जिले के ऐतिहासिक तथा धार्मिक स्थल देव के पवित्र सूर्य कुंड में लगभग 10 से 11 लाख व्रतधारियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया। इस अवसर पर अत्यन्त आकर्षक ढंग से सजाये गये देव के त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर में आज सुबह से ही भगवान भाष्कर के दर्शन के लिए व्रतधारियों तथा श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी हुई थी। इस दौरान देश के विभिन्न प्रांतों तथा बिहार के कोने-कोने से आये लाखों श्रद्धालुओं और व्रतधारियों द्बारा गाये जा रहे कर्णप्रिय छठी मईया के गीतों से पूरा वातावरण गुंजायमान था ।

छठ मेला में आनेवाले श्रद्धालुओं तथा व्रतधारियों के लिए जिला प्रशासन की ओर से पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य, यातायात, सफाई आदि के प्रबंध किये गये हैं और मेला में विधि-व्यवस्था बनाये रखने के लिए जगह-जगह दंडाधिकारियों के नेतृत्व में सशस्त्र पुलिस बल की तैनाती की गयी है ।लोक मान्यता है कि देव में पवित्र सूर्य कुंड में स्नान कर भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पित करने और त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर में भगवान के दर्शन करने से मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है।

पारिवारिक और शारीरिक सुख-शांति के लिए मनाये जाने वाले इस महापर्व के चौथे दिन कल व्रतधारी फिर नदियों और तालाबों में खड़े हो कर उदयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देंगे । दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद हीं श्रद्धालुओं को 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होगा और वे अन्न ग्रहण करेंगे ।

गौरतलब है कि चार दिवसीय यह महापर्व नहाय खाय से शुरू होता और उस दिन श्रद्धालु नदियों और तलाबों में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा चावल का भोजन ग्रहण करते हैं । इस महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बना खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आये तब तक पानी पीते हैं और उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू होता है ।

उपाध्याय राम

वार्ता

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