नयी दिल्ली 20 नवंबर (वार्ता) प्राकृतिक संसाधनों के विवेकहीन दोहन के बजाय उनके उत्तरदायित्वपूर्ण उपयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि पृथ्वी ग्रह केवल मनुष्यों के लिए नहीं, बल्कि सभी जीवित प्राणियों के लिए भी है।
श्री धनखड़ ने यहां शांतिगिरि आश्रम के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश में एक ऐसी मानसिकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है जो हमारी सभ्यतागत लोकाचार को प्रोत्साहन देती है। उन्होंने भारतीय संस्कृति को भारतीय समाज रीढ़ बताते हुए सभी से भारत के प्राचीन ज्ञान और उपलब्धियों पर गर्व करने को कहा।
प्राकृतिक संसाधनों के विवेकहीन दोहन के बजाय उनके जिम्मेदार उपयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा,“हमें यह महसूस करना होगा कि पृथ्वी ग्रह केवल मनुष्यों के लिए नहीं, बल्कि सभी जीवित प्राणियों के लिए भी है।” उन्होंने देश में एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र के उद्भव पर भी जोर दिया जो निष्पक्ष और पारदर्शी हो और जहां हर कोई बिना किसी बाधा के अपने सपनों और आकांक्षाओं को साकार कर सकता हो।
उपराष्ट्रपति ने ‘गुरु-शिष्य’ परंपरा को पुनर्जीवित करने का आह्वान करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति की जेब को सशक्त बनाने के बजाय उनके दिमाग और क्षमताओं को सशक्त बनाना चाहिए। श्री धनखड़ ने कहा,“महिलाओं का सशक्तिकरण मानवता के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह कोई विकल्प नहीं है बल्कि यही एकमात्र रास्ता है।” इस संबंध में उन्होंने संसद में हाल ही में पारित महिला आरक्षण विधेयक के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
उपराष्ट्रपति ने आयुर्वेद, सिद्ध और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के प्राचीन औषधीय ज्ञान के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध की आवश्यकता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को आज के स्वास्थ्य का अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है।
सत्या.संजय
वार्ता