नयी दिल्ली 12 मई (वार्ता) भारत ने पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के शाेध एवं अनुभव के आदान प्रदान पर जोर देते हुए कहा है कि डिजीटल के प्रयोग से स्वास्थ्य सेवाओं का अंतर पाटा जा सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रवीन भारती पवार ने शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की स्वास्थ्य सेवाओं पर एक बैठक के छठें सत्र की ऑनलाइन अध्यक्षता करते हुए कहा कि मजबूत निगरानी प्रणाली की स्थापना, सहयोगी अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ एससीओ राष्ट्रों के बीच समग्र चिकित्सा सेवा एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा का लक्ष्य प्राप्त करने में महत्वपूर्ण है। केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सत्र में मुख्य भाषण दिया। बैठक में सभी एससीओ सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस और एससीओ महासचिव झांग मिंग सहित और अन्य भागीदारों ने भी हिस्सा लिया।
डॉ. पवार ने कहा कि यह बैठक 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी 'पूरा विश्व एक परिवार है' के भारतीय दर्शन का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि एससीओ के सामूहिक प्रयास नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी देंगे, आर्थिक विकास के लिए वैश्विक स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे और चुनौतियों से निपटने के लिए एक संयुक्त मोर्चे को बढ़ावा देंगे।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य आपात स्थितियों का जल्द पता लगाने और सहयोगात्मक अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ एससीओ देशों के बीच चिकित्सा सेवा के लिए मजबूत निगरानी प्रणाली स्थापित करना, इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
डाॅ. पवार ने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली स्वास्थ्य सेवा परिवंश तंत्र के विभिन्न पक्षों के बीच मौजूदा अंतर को पाट सकती है। एससीओ राष्ट्रों के भीतर डिजिटल सार्वजनिक मंचों को साझा करने से स्वास्थ्य सेवा वितरण के क्षेत्र में लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
श्री सोनोवाल ने एससीओ सदस्यों से क्षेत्र के भीतर सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान और तरीकों को बढ़ावा देने और तलाशने में चिकित्सा यात्रा की क्षमता को पहचानने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक प्रणालियों को संरक्षित करते हुए आधुनिक तकनीकों को अपनाने से पूरे क्षेत्र के रोगियों को एक समग्र चिकित्सा अनुभव मिलेगा।
उन्होंने कहा कि जीवों , पौधों, मिट्टी, हवा, पानी, मौसम आदि सहित संपूर्ण पारिस्थितिकी के साथ-साथ मानव-जाति को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समग्र दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग चिकित्सा और स्वास्थ्य की भारतीय पारंपरिक प्रणालियाँ हैं, जो दुनिया भर में लोकप्रिय हैं और लोगों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए उपयोग की जाती हैं।
सत्या, उप्रेती
वार्ता