लखनऊ 31 दिसम्बर(वार्ता)उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा है कि विधानसभा द्वारा गठित समितियों में सत्ता और विपक्ष में भेदभाव नहीं होता है।
श्री दीक्षित ने मंगलवार को यहां विधानसभा की नवगठित प्रतिनिहित विधायन समिति एवं याचिका समिति की बैठकों का उद्घाटन करते हुए कहा कि विधानसभा द्वारा गठित समितियों में सत्ता और विपक्ष में भेद नहीं होता है। सभी मर्यादा के तहत अपनी बात कहकर सरकारी तंत्र को जवाबदेह बना सकते है। समितियों में अधिकारियों का एक पक्ष होता है, दूसरे पक्ष में विधायकगण होते हैं। उन्हें विषयों के सूक्ष्म विश्लेषण का अवसर मिलता है।
उन्होंने कहा कि गठित समितियाँ सदन का लघु स्वरूप होती हैं। जिस प्रकार सदन चलता है उसी प्रकार समितियाँ भी अपना कार्य-संचालन करती हैं। विधान सभा के विशेषाधिकार एवं उन्मुक्तियाँ इन समितियों में भी लागू होती हैं। समितियों के सभापतियों को वही अधिकार प्राप्त होते हैं, जो विधानसभा के संचालन के समय अध्यक्ष को प्राप्त होते हैं।
श्री दीक्षित ने कहा कि विधानसभा में सत्ता पक्ष एक तरफ होता है, विपक्ष दूसरी तरफ होता है। बीच में अध्यक्ष होता है। सदन में समय की कमी के कारण मामलों का सूक्ष्म विश्लेषण नहीं हो जाता है। समिति में सत्ता और विपक्ष में भेद नहीं होता है। सभी मर्यादा के अन्तर्गत अपनी बात कहकर सरकारी तंत्र को जवाबदेह बना सकते है। समितियों में अधिकारियों का एक पक्ष होता है, दूसरे पक्ष में विधायकगण होते हैं। उन्हें विषयों के सूक्ष्म विश्लेषण का अवसर मिलता है।
उन्होंने कहा कि समिति कानून बन जाने के बाद उसके तहत जो नियमावली बनाई जाती है, उसकी छानबीन करती है। समिति यह देखती है कि जो नियमावली विभागों द्वारा बनाई जा रही है वह सदन के बनाए गए कानून के अनुरूप है अथवा नहीं। यदि कोई नियम कानून के अनुरूप नहीं है, उसे सुधार के लिये अपनी संस्तुति कर सकती है। समिति यह भी देखती है कि जो भी नियमावली विभाग द्वारा बनाई जा रही है वह छह महीने के अन्दर सदन के पटल पर रखी जा रही है अथवा नहीं।
भंडारी
वार्ता