झांसी,28 फरवरी(वार्ता) उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी में शुक्रवार को भव्यता के साथ शुरू हुए बुंदेलखंड साहित्य महोत्सव -2020 में मुख्य अतिथि मंडलायुक्त सुभाष चंद्र शर्मा ने युवाओं के अपनी संस्कृति से दूर होने का कारण किताबों से उनकी दूरी को बताया।
महोत्सव के आयोजन स्थल झांसी के ऐतिहासिक किले के पास क्राफ्ट मेला मैदान में उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए मंडलायुक्त ने कहा कि आज का युवा किताबों को भूल गया है और उसने गूगल को गुरुदेव बना लिया है,यही वह कारण है कि हम अपनी संस्कृति को भी भूल रहे हैं। हम जब अपनी संस्कृति को ही नही जानेंगे तो उसके सम्मान के लिए क्या करेंगे। किताबें उसी संस्कृति और मूल्यों की वाहक होती हैं जिनका आज समाज में नितांत अभाव हेाता जा रहा है।
अदम्य साहस और वीरता की मिसाल महारानी लक्ष्मीबाई के ऐतिहासिक दुर्ग की महत्ता को बताते हुए उन्होंने कहा कि ये दीवारें केवल पत्थर की नहीं है इनमें शौर्य और वीरता के साथ त्याग की वह कहानी भरी पड़ी हैं। जिसने देश ही नहीं अपितु दुनिया को उनके नाम के आगे नतमस्तक होने को मजबूर कर देता है। यह भूमि 23 वर्ष की आयु में जीवन त्याग देने का अर्थ सिखाती है। हम अपनी आन,बान और शान के लिए लड़ते रहे। जब अपमान का घड़ा भर गया था तब 1857 में महारानी ने अंग्रेजों को लोहे के चने चबाने पर मजबूर कर दिया था। यह मंच आपकी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए है नकि किसी छिछोरेपन या उछलकूद के लिए। यहां आम बुंदेली के जीवन के दर्शन का क्रम दर्शाया जाएगा। इस मंच पर सबका समान सम्मान होगा। हो सकता है इस पहल में कुछ लोग अनछुए रह गए हों लेकिन आगे इसका भी पूरा ध्यान रखा जाएगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रोफेसर जयंत विनायक वैशंपायन ने कहा कि देश में दुर्ग तो बहुत हैं परंतु दो दुर्ग वीरता की निशानी है, एक चित्तौड़ का दुर्ग तो दूसरा महारानी लक्ष्मीबाई का दुर्ग झांसी। ये पत्थर नहीं हैं प्रेरणा के स्रोत हैं। उन्होंने बुन्देलखंड को किसी के द्वारा भी पिछड़ा कहे जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसा नहीं करें इससे नकारात्मकता आती है। बुन्देलखंड की धरती को उन्होंने सांस्कृतिक,पुरातात्विक,एतिहासिक,शिक्षा और पर्यटन का ग्रोथ सेंटर बताया।
वहीं जिलाधिकारी आन्द्रो वामसी ने बुन्देलखंड को विध्याचल से जोड़ते हुए उसे दक्षिण से जुड़ा हुआ बताया और कहा कि इस कार्यक्रम में जो जरुरत पड़ेगी उसके लिए वह हमेशा तैयार रहेंगे। चार दिन में उन्होंने जो सीखा वह बताया और कहा कि आगे यहां की संस्कृति को और सीखने का प्रयास करेंगे।
आयोजन स्थल पर विशाल पुस्तक मेला, राष्ट्रीय संगोष्ठी, कृषि विभाग की किसान जागरूकता संगोष्ठी, विविध प्रतियोगिताएं, हस्तशिल्प के स्टॉल, फूड कोर्ट, बुजुर्गों, महिलाओं, युवाओं, बच्चों के लिए ढेर सारे आयोजन, सुविधाएं उपलब्ध कराई गई, आयोजन में झांसी तथा आसपास के भारी जनसमुदाय शिरकत करता दिखा। तीन दिवसीय कार्यक्रम में प्रतिदिन सुबह 10 बजे से संगोष्ठी, मध्याह्न 12 बजे से साहित्य,बुन्देली, सिनेमा, पत्रकारिता, सोशल मीडिया, ललित कला, पर्यटन आदि विषयों पर परिचर्चा होती रही।
सोनिया
वार्ता