लखनऊ 29 सितम्बर (वार्ता) वैज्ञानिकों का कहना है कि शहरों में रहने वाले लाेग अपने घरों की छतों पर बागवानी कर न केवल रसायन मुक्त फल और सब्जियां प्राप्त कर सकते हैं बल्कि वायु प्रदूषण को कम करने में भी योगदान दे सकते हैं।
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक और कंटेनर गार्डनिंग परियोजना के प्रमुख के. के. श्रीवास्तव के अनुसार घरों की छतों पर कंटेनर में चुनिन्दा किस्म के फलों और सब्जियों की पैदावार आसानी से ली जा सकती है। खट्टे फलों, अमरूद, अनार, करौंदा आदि को कंटेनरों में लगाकर घरेलू जरूरतों को पूरा किया जा सकता है और प्रदूषण की समस्या पर भी कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
कंटेनर गार्डनिंग के फायदों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि लखनऊ लगभग 366 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। छतों का यदि 20 प्रतिशत हिस्सा भी रूफ टॉप गार्डनिंग के लिए प्रयोग किया जाय तो लगभग 60 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र फल एवं सब्जियाँ लगाने के लिए उपलब्घ होगा जिसमें लाखों की संख्या में पौधों को लगाया जा सकता है। इसका उपयोग कर शारीरिक पोषण जरूरतों को भी पूरा किया जा सकता है।
डा़ श्रीवास्तव ने बताया कि प्रयोग में देखा गया है कि नींबू का एक वर्ष का पौधा 15 से 35 और दूसरे वर्ष में 50 से 60 नींबू का फल देता है। कंटेनरों को घरों की छतों के अलावा बालकनी, खिड़कियों के निकट और खुले स्थानों पर रखा जा सकता है जहां पर्याप्त मात्रा में सूरज का प्रकाश मिलता हो।
उन्होंने कहा कि लखनऊ में अभी इसका प्रचलन नहीं के बराबर है। कंटेनर में फलों की पैदावार लेने के लिए फल, सब्जियों की खास किस्मों चयन की आवश्यकता है जो आसानी से विकसित हो सके। इसके लिए बड़े कंटेनर, सिमेंट के पात्र या पॉलीथीन के बड़े बैग का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए विशेष तकनीक का उपयोग कर ऐसे किस्मों के पौधों का चयन किया जाता है जो बौने किस्म के हों और जल्दी फल दे सके। कंटेनर में फलों की पैदावार लेना विज्ञान और कला दोनों है। रुप टॉप गाडर्निंग से हवा शुद्ध होती है, वायु की गुणवत्ता बढती है और सबसे बड़ी बात यह है कि इससे छतों का तापमान कम होता है। दुनिया के बड़े बड़े शहरों में ग्रीन रुफ टाप फैशन हो गया है।
कृषि के छात्रों को स्व उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने हाल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें उत्तर प्रदेश के नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय अयोध्या, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झॉसी, बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्व विद्यालय, लखनऊ एवं चन्द्रशेखर आजाद, कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर के शोध छात्रों, लखनऊ शहरवासियों, विश्वविद्यालय के डीन, प्रोफेसर, एवं सहायक प्राध्यापक के अलावा काफी संख्या में कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञ एवं उद्यमियों ने भाग लिया।
उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं तकनीकी परिषद के संयुक्त निदेशक डा. डी. के. श्रीवास्तव ने कहा कि परिषद शहरवासियों को घर की छतों पर रूफ टॉप गार्डनिग के लिए प्रोत्साहित करेगा। संस्थान के निदेशक शैलेन्द्र राजन ने बताया कि रुफ टॉप गार्डनिंग की तकनीक के लिए संस्थाओं तथा व्यक्तिगत आधार पर संस्थान से संपर्क किया जा रहा है। इस तरह की बागवानी के लिए संस्थान के पास तकनीक उपलब्ध है।
अरुण.संजय
वार्ता