नयी दिल्ली 23 अप्रैल (वार्ता) क्या आप ऐसे किसी अभिनेता और निर्देशक को जानते हैं, जो आजादी से पहले तीस के दशक में चिकित्सा विज्ञान में डॉक्टरेट करने के बाद फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने आये थे। शायद आपको नहीं मालूम होगा , यह शख्स डॉक्टर एस डी नारंग थे, जिनकी पैदाइश पाकिस्तान के फैसलाबाद में हुई थी लेकिन उन्होंने कोलकाता और मुम्बई में भी अपना फिल्मी सफर पूरा करते हुए अपने जीवन के पचास साल इस क्षेत्र में गुजारे थे। 18 जून 1918 को फैसलाबाद में जन्मे श्री नारंग पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर थे लेकिन फिल्मों के लिए जुनून से वह अभिनेता ही नहीं बल्कि निर्माता-निर्देशक और गीतकार भी बने। वह अपने जमाने में एक मशहूर फिल्म स्टूडियो के मालिक, लेखक और अर्थशास्त्री भी थे। डॉ. नारंग की शादी अपने जमाने की एक ऐसी खूबसूरत अभिनेत्री स्मृति बिस्वास से हुई, जिनसे कभी देवानंद ने शादी का प्रस्ताव रखा था। वर्ष 1936 से 46 तक उन्होंने लाहौर में फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया और साथ ही अभिनेता और गीतकार के रूप में भी अपना योगदान किया। देश के बंटवारे के दौरान 1947 में वह कोलकाता चले गये और वहां 1951 तक अपना फिल्मी सफर को जारी रखा। इसके बाद वह 1952 में मुम्बई चले गए और वहां 1980 तक फिल्म निर्माण और निर्देशन किया। डॉ.नारंग ने अपने अभिनय जीवन की शुरूआत फिल्म खंजाची से की, जो प्लेटिनम जुबली मनाने वाली पहली भारतीय फिल्म थी। फिल्म ‘ ये है जिन्दगी’ से उन्होंने निर्माण और निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा। अजय देवेन्द्र जितेन्द्र जारी वार्ता