नयी दिल्ली, 17 मई (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर बुधवार को कहा कि संवैधानिक अधिकारी संयम से काम लें और भड़काऊ बयान न दें।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि राजनीतिक कार्यपालिका मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर आंख नहीं मूंदें। पीठ ने साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि वह 'राजनीतिक क्षेत्र' में प्रवेश नहीं करेगी।
पीठ ने मुख्यमंत्री के आधिकारिक हैंडल से किए गए कथित भड़काऊ ट्वीट्स की एक वकील की शिकायत पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, " यह सुनिश्चित करें कि संवैधानिक अधिकारी संयम से काम लें और भड़काऊ बयान न दें।"
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि हिंसा से प्रभावित लोगों की सुरक्षा के साथ-साथ राहत और पुनर्वास के लिए किए गए उपायों पर एक नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हमें बताएं कि मणिपुर में (सुरक्षा और राहत को लेकर) क्या कदम उठाए गए हैं।'
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह मणिपुर उच्च न्यायालय के 27 मार्च के फैसले से उत्पन्न कानूनी मुद्दों से नहीं निपटेगी, जिसमें बहुसंख्यक मेइती को अनुसूचित जनजाति के रूप में आरक्षण दिया गया था। वजह यह कि आदेश को चुनौती देने वाली याचिका उच्च न्यायालय की बड़ी खंडपीठ के समक्ष लंबित है।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को पूरी तरह तथ्यात्मक रूप से गलत बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि आदिवासी आरक्षण के मुद्दे से जुड़े मुद्दों को लेकर उच्च न्यायालय की उस खंडपीठ में जा सकते हैं।
पीठ ने कुकी और अन्य आदिवासी समुदायों की सुरक्षा संबंधी आशंकाओं के मद्देनजर भी आदेश दिया। पीठ ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव और उनके सुरक्षा सलाहकार आदिवासियों द्वारा बताए गए गांवों में शांति सुनिश्चित करने के लिए आकलन कर जरूरी कदम उठाएंगे।
शीर्ष अदालत के समक्ष राज्य सरकार ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा, “47,914 से अधिक लोगों के साथ कुल 318 राहत शिविर खोले गए हैं। राशन, भोजन, पानी और चिकित्सा देखभाल और दवाओं की व्यवस्था जिलाधिकारियों द्वारा अनुविभागीय मजिस्ट्रेटों, कार्यकारी मजिस्ट्रेटों और संबंधित लाइन विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ जिम्मेदार अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करके की जा रही है।
सरकार ने कहा, "लोगों को राहत/सुरक्षित स्थानों से हवाई अड्डे/मूल स्थानों (पूर्व राज्य) तक मुफ्त यात्रा की व्यवस्था रही है। इस व्यवस्था से लगभग 3,124 लोगों को मदद की गई है।"
शीर्ष अदालत ने केंद्र की दलीलों पर ध्यान दिया कि पिछले दो दिनों में मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई है और स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।
भारतीय जनता पार्टी के विधायक और मणिपुर विधानसभा की हिल एरिया कमेटी (एचएसी) के अध्यक्ष डिंगांगलुंग गंगमेई ने उच्च न्यायालय के 27 मार्च के निर्देश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसमें मेइतेई समुदाय को राष्ट्रपति सूची में अनुसूचित जनजाति के रूप में शामिल किया गया था।
मणिपुर में 50 से अधिक लोगों की मौत और हजारों लोगों के विस्थापित होने के बाद इस घटना की एसआईटी द्वारा जांच के लिए मणिपुर ट्राइबल फोरम द्वारा एक अलग याचिका दायर की गई थी।
बीरेंद्र,आशा
वार्ता