देहरादून/श्री बदरीनाथ धाम, 17 नवंबर (वार्ता) उत्तराखंड के चमोली जनपद अंतर्गत, भगवान बदरीनाथ मंदिर के कपाट रविवार रात्रि नौ बजकर सात मिनट पर विधि-विधान से शीतकाल के लिए बन्द कर दिए गए।
इस अवसर पर, मंदिर को भब्य रूप से 15 कुंतल फूलों से सजाया गया। कपाट बन्द होने के समय दस हजार से अधिक श्रद्धालु उपस्थित रहे। अब सोमवार को प्रात: देव डोलियां योग बदरी, पांडुकेश्वर तथा जोशीमठ के लिए प्रस्थान करेगी।
बदरीनाथ, केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के मीडिया प्रभारी डा हरीश गौड़ ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के साथ विधि- विधान से जय बदरी विशाल के उदघोष के साथ आज रात्रि शीतकाल के लिए बंद हो गए। उन्होंने बताया कि इस दौरान, बदरीनाथ धाम में पहाड़ियों पर बर्फ एकत्र रही। जिससे लगातार सर्द बयारें चलतो रही। उन्होंने बताया कि कपाट बंद होने के लिए श्री बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति, ऋषिकेश ने मंदिर को फूलों से सजाया है। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर स्थानीय लोक कलाकारों तथा महिला मंगल दल बामणी, पांडुकेश्वर द्वारा स्थानीय लोकनृत्य तथा जागर आदि का आयोजन किया गया। दानीदाताओं तथा सेना ने श्रद्धालुओं के लिए भंडारों का आयोजन किया।
आज अंतिम दिन चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने श्री बदरीनाथ धाम यात्रा समापन के अवसर पर भगवान बदरी-विशाल के दर्शन किये तथा कहा कि प्रशासन तथा मंदिर समिति के समन्वयन से श्री बदरीनाथ यात्रा कुशलतापूर्वक संपन्न हो रही है। रिकार्ड संख्या में तीर्थयात्री पहुंचे है। श्री बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान का कार्य तेजी से चल रहा है जिससे तीर्थयात्रियों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
डा गौड़ के अनुसार, कपाट बंद होने के दिन आज शाम शयन आरती पूजा अर्चना शुरू होने से पहले सायं: तक श्रद्धालुओ ने दर्शन किए। दिन में भोग के बाद मंदिर बंद नही हुआ।तथा रात्रि 7.30 बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हुई। रावल अमरनाथ नंबूदरी धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट, अमित बंदोलिया ने कपाट बंद करने की प्रक्रिया पूरी कराई ।श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी श्री बदरीनाथ मंदिर गर्भ गृह से बाहर आयें। इसके बाद रावल अमरनाथ नंबूदरी ने स्त्री रूप धारण कर, मां लक्ष्मी को मंदिर गर्भ गृह में विराजमान किया। तत्पश्चात रात्रि सवा 8 बजे भगवान बदरी विशाल को माणा महिला मंगल दल द्वारा बुनकर तैयार किया गया घृत कंबल औढाया गया। उसके बाद रात नौ बजकर सात मिनट रावल अमरनाथ नंबूदरी द्वारा श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंदकर दिये गए।
सुमिताभ.संजय
वार्ता