लखनऊ 02 फरवरी (वार्ता) पिछले साल 27 मार्च को ए सेट तकनीक से लैस उपग्रह रोधी मिसाइल (इंटरसेप्टर) के सफल प्रक्षेपण के जरिये दुनिया में धाक जमाने वाला रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआडीओ) पांच दिसम्बर से यहां शुरू होने वाले डिफेंस एक्सपो-2020 विश्व की दिग्गज कंपनियों के सामने अपने बेहतरीन रक्षा उत्पादों का प्रदर्शन करेगा।
वृदांवन योजना सेक्टर 15 में होने वाले इस आयोजन की तैयारियां अंतिम मुकाम पर हैं। पांच दिनो तक चलने वाली एक्सपो का शुभारम्भ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच फरवरी को करेंगे। इस मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा तीनो सेनाओं के प्रमुख उपस्थित रहेंगे।
डीआरडीओ के पवेलियन में देश की पहली उपग्रह रोधी मिसाइल ‘मिशन शक्ति’ रक्षा विशेषज्ञों के साथ दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र रहेगी जबकि ब्रह्मोस मिसाइल,अर्जुन टैंक, एटीएजीएस,अश्वनी राडार,प्रहार मिसाइल समेत अनेक अत्याधुनिक हथियार देश की अचूक मारक क्षमता का प्रदर्शन करेंगे।
मिशन शक्ति के तहत 27 मार्च 2019 को मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर ने एक सफल परीक्षण में पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) में 300 किलोमीटर (186 मील) की ऊँचाई पर एक परीक्षण उपग्रह को मार गिराया था। इंटरसेप्टर को ओडिशा के चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से प्रक्षेपित किया गया था जिसने 168 सेकंड के बाद अपने लक्ष्य माइक्रोसैट-आर को हिट किया था। इसके साथ ही भारत उपग्रह रोधी मिसाइल क्षमताओं वाला चौथा राष्ट्र बन गया था।
यहां दिलचस्प है कि डिफेंस एक्सपो में अमेरिका और रूस अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे है हालांकि चीन इसका हिस्सा नहीं रहेगा। ऐसे में कई देशों की निगाह भारतीय इंटरसेप्टर पर होगी जिसका सीधा असर निर्यात पर पड़ेगा।
स्वदेशी तकनीक से लैस राडार अश्वनी भी विदेशी मेहमान देशों के लिये कौतूहल का केन्द्र बनेगा। डीआरडीओ निर्मित राडार ने भारतीय सेना एयर डिफेंस सिस्टम की क्षमता में बढोत्तरी की है। किसी भी समय और मौसम में 200 किमी की परिधि में आसमान में नीचे उड़ रहे टारगेट की सटीक सूचना देने में सक्षम अश्वनी युद्धकाल में एक्सप्रेस वे पर विमानों की लैंडिंग में भी महती भूमिका निभा सकता है।
ठोस इंधन की, सतह-से-सतह तक मार करने में सक्षम कम दूरी की सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रहार’ भी डीआडीओ की क्षमता का प्रदर्शन करेगी। स्वदेशी तकनीक से तैयार 1280 किलो वजनी और 7.3 मीटर लंबी मिसाइल 200 किलो परमाणु हथियार ढोने में सक्षम है और 2़ 03 किमी प्रति सेकेंड की रफ्तार से 150 किमी तक आकाश में 35 किमी की ऊंचाई तक मार कर सकती है।
इसके अलावा सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के जरिये भारत अपनी प्रहार क्षमता का प्रदर्शन करेगा। रूस के सहयोग से निर्मित मिसाइल पनडुब्बी,पानी के जहाज, विमान या जमीन से भी प्रहार करने में सक्षम है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा डीआरडीओ ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। ब्रह्मोस भारतीय सेना एवं नौसेना की शान बनी हुयी है।
इस प्रक्षेपास्त्र को पारम्परिक प्रक्षेपक के अलावा उर्ध्वगामी यानी कि वर्टिकल प्रक्षेपक से भी दागा जा सकता है। ब्रह्मोस के मेनुवरेबल संस्करण का हाल ही में सफल परीक्षण किया गया जिससे इस मिसाइल की मारक क्षमता में और भी बढोत्तरी हुई है। डीआरडीओ और एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिशिया का सयुंक्त उपक्रम ब्रह्मोस कोर्पोरेशन इस मिसाइल का निर्माण कर रहा है। ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करवा रहा है और उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत के द्वारा विकसित की गई है।
प्रक्षेपास्त्र तकनीक में दुनिया का कोई भी प्रक्षेपास्त्र तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की बराबरी नहीं कर सकता। ब्रह्मोस अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है, इसकी प्रहार क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है। आम मिसाइलों के विपरित यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है।
यह मिसाइल 1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने लक्ष्य को तहस नहस कर सकती है।
डीआरडीओ निर्मित अर्जुन रक्षा विशेषज्ञों के लिये कौतूहल का विषय रहेगा। तीसरी पीढ़ी के मुख्य युद्धक टैंक का नाम महाभारत के पात्र अर्जुन के नाम पर रखा गया है। टैंक में 120 मिमी में एक मेन राइफल्ड गन के अलावा 7.62 मिमी कोएक्सिल मशीन गन और एनएसवीटी 12.7 मिमी मशीन गन भी है। 42 मील प्रति घंटा की रफ्तार से फर्राटा भरने वाले इस टैंक का संचालन कमांडर, गनर, लोडर और चालक करता है। ऑटोमैटिक फायर डिटेक्शन और सप्रेशन और एनबीसी प्रोटेक्शन सिस्टम्स इसमें शामिल किये गए हैं।
डिफेंस एक्सपो 2020 की सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गये हैं। ढाई किमी लम्बे और साढ़े तीन किमी चौड़े क्षेत्रफल में विस्तारित एक्सपो की सुरक्षा के लिए चार थाने और 16 चौकियां बनाई गई। एक्सपो के बाहरी सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रदेश पुलिस जबकि कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा की जिम्मेदारी केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को सौंपी गई है।
पांच दिनो तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में अब तक करीब एक हजार से अधिक एक्जिबिटर्स ने पंजीकरण कराया है जिसमें 165 विदेशी एक्जिबिटर्स भी शामिल हैं। डिफेंस एक्सपो में अमेरिका,फ्रांस ब्रिटेन और रूस समेत 70 से अधिक देश हिस्सा लेंगे। एक्सपो में छह और सात फरवरी को बिजनेस कॉन्फ्रेंस होगी, जिसमें देश और विदेश के एक्जिबिटर्स एक दूसरे को हथियारों की खूबी और क्षमता का परिचय करायेंगे। आम जनता के लिये प्रदर्शनी अंतिम दो दिन आठ और नौ फरवरी को खुली रहेगी।
प्रदीप
वार्ता