नयी दिल्ली, 09 नवंबर (वार्ता) नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए उच्च आर्थिक वृद्धि और शिक्षा तथा कौशल में सुधार को जरूरी बताया कि इस दशक की शेष अवधि में औसत प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (प्रति व्यक्ति जीडीपी) वृद्धि 6.2 प्रतिशत वार्षिक अगले दशक में इसके 5.7 प्रतिशत वार्षिक रहने का अनुमान लगाया है।
डॉ. विरमानी ने कहा कि भारत वर्तमान में जीडीपी और प्रति जीडीपी वृद्धि दर में दुनिया में सबसे आगे है। उन्होंने कहा कि 2030 तक चीन और मलेशिया जैसे उच्च मध्यम आय वाले देशों (यूएमआईसी) और 2050 तक अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) जैसे उच्च आय वाले देशों (एचआईसी) के साथ समानता हासिल करने के लिए इस तरह की ऊंची आर्थिक वृद्धि दर बने रहना आवश्यक है। उन्होंने केंद्र राज्य और स्थानीय स्तरों पर पुरानी चली आ रही ' नियंत्रण की मानसिकता' से 'विकास-केंद्रित' प्रशासन में बदलाव की भी जरूरत बताया।
डॉ. विरमानी ने शुक्रवार शाम यहां 1947 तक ‘विकसित भारत का एक सपना’ विषय पर एक वार्ता में कहा कि रोजगार के अवसरों में विस्तार और मजदूरी बढ़ने के रुझान से गरीबी कम हो रही है तथा आय के वितरण में सुधार हो रहा है। उन्होंने गरीबी और विषमता कम करने में बुनियादी शिक्षा और कार्य कौशल के क्षेत्र में प्रगति की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने चीन पर निर्भरता कम करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक जुझारू अर्थव्यवस्था बनाने के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने प्रति व्यक्ति जीडीपी, रोजगार और सामाजिक समानता में वृद्धि को तेज करने के सरकार के रणनीतिक फोकस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत लक्षित सुधारों और वैश्विक भागीदारी के माध्यम से उच्च आय की स्थिति प्राप्त करने के लिए अच्छी स्थिति में है।
डॉ. विरमानी ने भारत की युवा आबादी का लाभ उठाने के लिए शिक्षा और कौशल विकास पर जोर देते हुए कहा कि देश में कामकाजी उम्र की आबादी का वैश्विक हिस्सा सबसे अधिक है, जिसे वे भविष्य के विकास के लिए आधारशिला मानते हैं। उन्होंने इसका लाभ उठाने के लिए दूसरे देशों के साथ सहयोग का दृष्टिकोण अपनाने की वकालत की, जिसमें भारत की जनशक्ति को विकसित देशों की तकनीकी और बाजार शक्तियों के साथ जोड़ा जा कसे ।
सामाजिक सेवाओं में सुधार, विशेष रूप से स्वास्थ्य और शिक्षा में, भारत की विकास आकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने नई शिक्षा नीति, निपुण भारत और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसी प्रमुख सरकारी पहलों को भी भारत के 2047 के विजन को आगे बढ़ाने वाले परिवर्तनकारी उपायों के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मजबूत सुधारों और कार्यबल तथा व्यापार अवसरों के प्रति सक्रिय दृष्टिकोण के साथ, भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी तक विकसित देशों के बीच अपना स्थान सुरक्षित कर सकता है।
मनोहर, उप्रेती
वार्ता