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कांग्रेस विकास के मुद्दे पर चुनाव मैदान में उतरी ,सभी दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी

कांग्रेस विकास के मुद्दे पर चुनाव मैदान में उतरी ,सभी दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी

चंडीगढ़ ,19 मार्च (वार्ता) लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही पंजाब में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के बीच तरह -तरह की तिकड़मों तथा आरोप -प्रत्यारोप का सिलसिला नजर आने लगा है।

पंजाब में मौजूदा हालात पिछले चुनावों से कुछ अलग दिखायी देता है। हालांकि मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस तथा अकाली -भाजपा गठबंधन के बीच तय है। पिछले लोकसभा में कम समय में पंजाब के राजनीतिक पटल पर उभरी आम आदमी पार्टी (आप)ने लोगों की विश्वास जीतते हुये राज्य की कुल तेरह लोकसभा सीटों में से चार सीटें जीत कर सभी को हैरत में डाल दिया था।

शाही पटियाला सीट पर आप के डा0 धर्मवीर गांधी ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी पूर्व विदेश राज्यमंत्री परनीत कौर को हराकर सभी को चौंका दिया था । अकाली दल की सीट फतेहगढ साहिब से आप के हरिंदर सिंह खालसा, फरीदकोट से प्रो0 साधू सिंह तथा संगरूर सीट से भगवंत मान भारी मतों से जीते थे। कई विधानसभा क्षेत्रों में आप पार्टी के प्रत्याशियों ने लीड ली थी।

अकाली दल को फिरोजपुर सीट से शेर सिंह घुबाया, खडूर साहिब सीट से रंजीत सिंह ब्रहमपुरा, आनंदपुर साहिब सीट से प्रो0 प्रेमसिंह चंदूमाजरा और बठिंडा सीट से हरसिमरत कौर बादल और उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी को गुरदासपुर सीट पर विनोद खन्ना, होशियारपुर से विजय सांपला जीते थे। कांग्रेस को केवल दो सीटें हासिल हुई जिनमें अमृतसर सीट से कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह तथा लुधियाना से रवनीत बिट्टू जीते थे।

उसके बाद आम आदमी पार्टी में अंदरूनी कलह तथा फूट और आरोपों में घिरने से पार्टी की गिरती साख के चलते विधानसभा चुनाव में पार्टी की संभावित जीत पर ब्रेक लग गया। हालांकि पार्टी गठबंधन बाईस सीटों पर जीत हासिल कर मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में आ गया। चुनाव के बाद पार्टी में टूट और फूट का सिलसिला जारी रहा और राज्य में परिवर्तन का नारा देकर दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी आप से लोगों का भरोसा टूटने लगा और अब हालात ये हैं कि कभी प्रतिपक्ष के नेता रहे सुखपाल खेहरा पंजाब एकता पार्टी बनाकर पंजाब डेमोक्रेटिक अलाइंस के साथ मिलकर चुनाव मैदान में हैं। इसमें सांसद डा0 गांधी की नवां पंजाब पार्टी ,बहुजन समाज पार्टी , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ,लाेक इंसाफ पार्टी सहित छह पार्टियां हैं और गठबंधन सात सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुका है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ तथा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंंदर सिंह का दावा है कि पार्टी सभी तेरह सीटों पर जीतेगी। पार्टी जिताऊ तथा टिकाऊ उम्मीदवारों को उतारेगी । राज्य में चुनाव अंतिम चरण में होने की वजह से उसे दो माह से ज्यादा का समय मिला है जिसके कारण उसे प्रत्याशी घोषित करने की कोई जल्दबाजी नहीं है। कांग्रेेस सरकार के विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जायेगा।

श्री जाखड़ ने कहा है कि राज्य में कांग्रेस का मुकाबला किसी पार्टी से नहीं है क्योंकि आप पार्टी खत्म होने के कगार पर है तथा भाजपा -अकाली दल का दस साल के कुशासन को जनता अभी तक नहीं भुला सकी है । उसके पास कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाने के सिवाय अन्य कोई मुद्दा नहीं । अकालियों ने पंजाब का खजाना खाली कर कर्ज का भारी बोझ चढ़ा दिया जिसकी वजह से हर क्षेत्र में विकास प्रभावित हुआ । कांग्रेस सरकार चुनाव में किये वादे पूरे कर रही है तथा हर क्षेत्र में पंजाब आगे बढ़ने लगा है । लोगों ने कांग्रेस मेंं भरोसा जताया है जिसकी वजह से विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत मिला और अब लाेकसभा चुनाव में भी कांग्रेेस अच्छा प्रदर्शन करेगी।

इस बार चुनाव में कांग्रेस ,अकाली -भाजपा गठबंधन ,आप पार्टी के अलावा अकाली दल से अगले हुये टकसाली नेताओं की पार्टी शिअद (टकसाली) आप पार्टी से अलग हुये सुखपाल खेहरा की पार्टी पंजाब एकता पार्टी तथा पांच अन्य छोटी पार्टियां पंजाब डेमोक्रेटिक अलाइंस के तले चुनाव मैदान में हैं।

कृषि अर्थशास्त्री मानते हैं कि पंजाब में किसान अकालियों से तो कतई खुश हैं नहीं लेकिन वे कांग्रेस से भी नाराज हैं क्योंकि किसानों ने कांग्रेस के पूर्ण कर्ज माफी के वादे पर वोट दिया लेकिन अब तक अाधे किसानों का कर्ज भी माफ नहीं हो सका है तथा कर्ज तले दबे किसान आत्महत्या कर रहे हैं । हालांकि कांग्रेस सरकार गरीब किसान का दो लाख तक का कर्ज माफ करने का दावा कर रही है। लोगों का कहना है कि हर पार्टी हर चुनाव में बड़े बड़े वादे करती हैं तथा उनमें से अधिकांश पूरे नहीं होते । मतदाता ठगा सा महसूस करता है । स्वास्थ्य ,शिक्षा ,सड़कों से लेकर बुनियादी सुविधाओं का बुरा हाल है। कांग्रेेस नेताओं के अनुसार पिछली भाजपा अकाली दल सरकार ने पंजाब का विकास ठप कर दिया । अपराध ,भ्रष्टाचार ,भाई भतीजावाद का बोलबाला रहा । दूसरी ओर अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल का कहना है कि कांग्र्रेस सरकार ने पिछले दो साल में कोई वादा पूरा नहीं किया । विधानसभा चुनाव में घोषणापत्र तो उन्हीं मनप्रीत बादल ने बनाया जो अब वित्त मंत्री हैं । उन्हें पंजाब के हालात का सब मालूम था तो लोगों से बड़े बड़े वादे वोट झटकने को किये थे । अमरिंदर सरकार लोगों को मूर्ख बना रही है ताकि इन चुनावाें में वोट हासिल कर सके ।

श्री खेहरा के अनुसार कांग्रेस सरकार ने अब तक पिछले वादे तो पूरे नहीं किये और लोकसभा चुनाव में वोट लेने की कोशिश में है । अब लोग बेवकूफ नहीं हैं । वो कांग्रेस तथा अकालियों को सबक सिखायेंगे । आप पार्टी के प्रधान भगवंत मान का कहना है कि वो चाहते थे कि सभी छोटे दल मिलकर कांग्रेस तथा अकाली दल को टक्कर दें । हमने तो कोशिश की लेकिन गठबंधन सिरे नहीं चढ़ सका ,इसलिये आप अकेले चुनाव में उतरेगी ।

चुनावों को लेकर समाज के किसी भी वर्ग में उत्साह नहीं है। किसान नेता सुखदेव सिंह कोकरीकलां का कहना है कि सभी राजनीतिक दल किसानों के मुद्दे अपने घोषणापत्र में शामिल नहीं करना चाहतीं । जबकि किसान कुल वोट बैंक का करीब 60 प्रतिशत हैं ,उसके बावजूद दल उनके मुद्दों को नजरंदाज करते हैं।

उन्होंने कहा कि यदि किसानों को अपनी जून सुधारनी है तो वो लामबंद होकर राजनीतिक दलों पर दवाब बनायें। पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी यूनियन ने दलों पर दबाव बनाने के लिये बठिंडा में पचास दिन धरना दिया था। उसके बाद सभी पार्टियों को किसान कर्ज माफी का मुद्दा लेना पड़ा। बठिंडा लोकसभा क्षेत्र से आम आदमी गुरतेज प्यासा के अनुसार इस बार लोगों में धार्मिक बेअदबी के मामले करे लेकर अकालियों के प्रति गुस्सा है । अब लोगों का किसी पार्टी में विश्वास नहीं रहा ,लेकिन लोगों के पास कोई अन्य विकल्प न होने के कारण अकाली -भाजपा गठबंधन या कांग्रेस को ही चुनना पड़ेगा । आम आदमी पार्टी पर लोगों ने भरोसा जताया था और मालवा क्षेत्र में उसे नौ में से पांच विधानसभा सीटें दी थीं।

पंजाब फैडरेशन आफ इंडस्ट्रियल एंड कामर्शियल आर्गेनाइजेशन के प्रधान रहे गुरमीत सिंह कुलार के अनुसार पिछले पांच साल में जीएसटी तथा नोटबंदी ने विकास की ग्रोथ रोक दी क्योंकि यह सब नियोजित नहीं था । उद्योगपति जो चाहते थे वो नहीं हो सका । हमने अपनी शिकायतें तथा समस्यायें भी अनेक बार केन्द्र सरकार में दर्ज करायी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई । जीएसटी ने माइक्रो स्माल इंडस्ट्री की कमर तोड़कर रख दी है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नारा दिया था :वन मार्केट ,वन नेशन और वन टैक्स ,लेकिन वो सही मायने में हो नहीं सका ।अब चुनाव का समय है तो ऐसे में अच्छे बुरे में अंतर करना जरूरी है । सबसे पहली बात कांग्रेस के पास प्रधानमंत्री पद के लिये कोई उम्मीदवार नहीं । ऐसे में मोदी सरकार को चुनना ही हमारी मजबूरी है ।

ज्ञातव्य है कि पंजाब में लोकसभा की वर्तमान स्थिति के अनुसार गुरदासपुर सीट पर भाजपा के विनोद खन्ना के निधन के बाद हुये उपचुनाव में यह सीट कांग्रेस ने झटक ली। वहां से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भाजपा के स्वर्ण सलारिया को हराया था। अकाली दल के दो सांसद रंजीत सिंह ब्रहमपुरा ,शेर सिंह घुबाया अलग हो गये हैं तथा अकाली दल के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने नयी टकसाली पार्टी बना ली है और चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं। श्री घुबाया कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं ।

राज्य में दलित वोट बैंक देश के अन्य राज्यों से सबसे अधिक होने के बावजूद दलित वोट बैंक छिटका हुआ है तथा आज तक एकजुट नहीं हो सका जिसका लाभ बड़ी पार्टियां ले जाती हैं।

शर्मा महेश राम

वार्ता

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