झांसी 29 अगस्त (वाता) वर्ष 1975 की विश्व विजेता हॉकी टीम के सदस्य ब्रिग्रेडियर हरचरण सिंह ने कलाइयों के बाजीगर मेजर ध्यानचंद को विश्व रत्न की संज्ञा से नवाजते हुए कहा कि उन्होंने इस खेल में ऐसे ऊंचे मापदंड स्थापित किये कि आज भी हर युवा खिलाड़ी उनके जैसी हॉकी खेलने का सपना भर देखता है।
मेजर ध्यानचंद की 113वीं जयंती के अवसर पर बुधवार को उनकी कर्मस्थली झांसी में हॉकी के बड़े बड़े खिलाड़ी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। इस अवसर पर ब्रिगेडियर सिंह ने कहा, “ध्यानचंद जी के बारे मे कुछ भी बोलना सूरज को दिया दिखाने जैसा है न केवल हॉकी बल्कि हमारे देश में खेलों को महत्व दिलाने में उनके योगदान की कोई तुलना ही नहीं की जा सकती है। उस जमाने में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त खिलाड़ी होने के बावजूद अहंकार उनको छू कर भी नहीं निकला था। ऐसा खिलाडी जिसके खेल की मिसालें पूरी दुनिया में दी जाती हैं वह आखिरी समय तक जमीन से जुडा रहा । व्यवहार और खेल दोनों ही क्षेत्रों मे वह हर एक के लिए अनुकरणीय व्यक्तित्व रहे।”
उत्तर मध्य रेलवे के सीनियर रेलवे इंस्टीट्यूट में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में पद्मश्री और राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार से सम्मानित धनराज पिल्लै,1975 हॉकी विश्वकप विजेता टीम के सदस्य अशोक दीवान, ओमकार सिंह ,ब्रिगेडियर एच जे एस चिमनी,ब्रिगेडियर हरचरण सिंह ,अजीतपाल सिंह ,वीरेंद्र सिंह के साथ साथ अर्जुन पुरस्कार विजेता मेजर ध्यानचंद के सुपुत्र अशोक ध्यानचंद,1980 मास्को ओलम्पिक की विजेता टीम के कप्तान वी भास्करन, जफर इकबाल, अर्जुन पुरस्कार विजेता एम पी गणेश,जूनियर वर्ल्डकप चैम्पियनशिप 2016 के सदस्य अरमान कुरैशी के साथ साथ झांसी के अंतररराष्ट्रीय हॉकी खिलाडी जगदीश यादव, अब्दुल अजीज,सुबोध खांडेकर, वीरेंद्र सिंह, जमशेर खान,नेहा सिंह,तुषार खांडेकर और केपीयादव भी शामिल रहे।
ब्रिगेडियर सिंह ने वर्तमान और पुराने जमाने की हॉकी के विषय में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा, “आज के जमाने और हमारे जमाने की हॉकी में जमीन आसमान का बदलाव आ गया है। हमारे जमाने मे कलात्मक हाॅकी खेली जाती थी वह हुनर का खेल था। हमारे जमाने में हर खिलाड़ी एक निर्धारित रोल मे खेलता था और परफेक्शन के लिए खेलता था । आज की हॉकी फ्री हॉकी है, एस्ट्रोटर्फ ने खेल में इतनी अधिक गति बढा दी है कि अब यह पावर गेम हो गया है। एस्ट्रोटर्फ पर अगर हमारे 1970 के बैच ने हॉकी खेली होती तो यकीनन जो आज हॉकी खेली जा रही है हम उससे बेहतर खेलते।”
धनराज ने कहा कि दद्दा के विषय में कुछ भी कहना शुरू किया तो व्याख्यान खत्म होने में कई दिन बीत जायेंगे । उनके बारे में यह ही कहना है कि हॉकी खेलने का सपना देखने या खेलने वाला हर खिलाडी का सपना होता है कि वह मेजर ध्यानचंद जैसी हॉकी खेले । वह सदियाें से लेकर आज तक और आगे अनंतकाल तक हॉकी के खिलाडियों के आदर्श रहेंगे।
अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी अतार्फुर रहमान ने कहा, “हॉकी में हमारा इतिहास बेहद समृद्ध है आगे इस खेल मे इतना नीचे आने का कारण रहा कि हमारे देश मे स्कूलों से हॉकी खत्म हो गयी। पहले स्कूल से जिला फिर राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर पर आने के लिए नीचे से ही खिलाड़ी मिलते थे लेकिन स्कूल स्तर से हॉकी खत्म होने से अच्छे खिलाडियों का अभाव हो गया और जिसका नतीजा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस खेल में आयी गिरावट रही लेकिन अब एकबार फिर खेलों के क्षेत्र मे काफी प्रयास किये जा रहे हैं और वर्तमान टीम लगातार अपने प्रदर्शन में सुधार से जीत हासिल कर रही है। जरूरत है कि छोटेे शहरों में भी जो उम्दा खिलाडी हैं उनतक स्तरीय सुविधाएं पहुंचायी जाएं ताकि वह आगे देश के लिए मैडल हासिल कर पायें।
इस अवसर पर मंडल रेल प्रबंधक ए के मिश्र ने सभी मेहमान खिलाडियों को सम्मानित किया।