नयी दिल्ली, 08 जनवरी (वार्ता) केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि देश को इस साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक में निशानेबाजों से काफी उम्मीदें हैं।
रिजिजू ने डॉ. कर्णी सिंह निशानेबाजी रेंज में 162 बिस्तर वाले छात्रावास का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। रिजिजू ने कहा, “निशानेबाजी इस समय हमारे प्रमुख खेलों में से एक है, हमें निशानेबाजी से बहुत उम्मीदें हैं और भारत में जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं का भंडार है। हमें टोक्यो ओलंपिक में निशानेबाजी में ज्यादा-से-ज्यादा खिलाड़ियों को भेजने की उम्मीद है।”
खेल मंत्री ने गुरूवार को आवासीय छात्रावास का उद्घाटन करते हुए कहा कि इस सुविधा के कारण न केवल सीनियर निशानेबाजों के समूह को लाभ प्राप्त होगा, बल्कि उन निशानेबाजों को भी फायदा पहुंचेगा जो टॉप्स विकास समूह और खेलो इंडिया योजना तथा एनसीओई निशानेबाजों के रूप में शामिल हैं।
यह 162 बिस्तरों वाला वातानुकूलित छात्रावास है जिसमें शौचालय की सुविधा भी उपलब्ध है। इसमें एक वातानुकूलित भोजन कक्ष और खेल के अनुसार खान-पान स्थल तथा लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग मनोरंजन कक्ष की सुविधा भी उपलब्ध है। इसका निर्माण 12.26 करोड़ रूपए की लागत से किया गया है।
रिजिजू ने कहा, “हमारे एथलीट ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनका जीवन स्तर अच्छा होना चाहिए जहां पर उनके लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों।”
खेल मंत्री ने यह भी घोषणा की कि सभी छात्रावासों में खान-पान, रहने की व्यवस्था और स्वच्छ वातावरण की सुविधा कम-से-कम थ्री स्टार मानक की होनी चाहिए, जिसके सुविधा का प्रबंधन एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने बल देकर कहा कि लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग छात्रावास की सुविधाएं होनी चाहिए। उन्होंने कहा,‘निशानेबाजी एक प्राथमिकता वाला खेल है, हमें निशानेबाजों के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने होंगे।‘
इस छात्रावास की सुविधा से भारतीय निशानेबाजों को प्रशिक्षण के दौरान प्रोत्साहन मिलेगा, जो पहले निशानेबाजी प्रशिक्षण के दौरान बाहरी आवास में निवास किया करते थे। इस छात्रावास के बनने से निशानेबाजों को अब अपने संबंधित राइफल, पिस्टल और शॉटगन रेंज जाने के लिए थोड़ी ही दूर जाना पड़ेगा।
2018 राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता युवा निशानेबाज अनीश भानवाला ने इस अवसर पर कहा, “हमारे पास हमेशा एक अच्छा निशानेबाजी रेंज रहा है लेकिन छात्रावास की कमी थी जिसके कारण हमें परिसर के बाहर रहना पड़ता था। छात्रावास में रहने से अब हमें सुबह और दोपहर के सत्र में भी प्रशिक्षण प्राप्त करने में सुविधा होगी।”
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