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निर्यात में आया बढ़त का दौर

निर्यात में आया बढ़त का दौर

नयी दिल्ली 30 दिसंबर (वार्ता) दिसंबर 2014 के बाद से 18 महीनों की गिरावट के बाद बीते वर्ष में जून में निर्यात में तेजी का रुख बना और सरकार के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे। वर्ष 2016 के दौरान केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्याेग मंत्री निर्मला सीतारमण को ध्यान निर्यात बढ़ाने के टिका रहा और इस संबंध में अल्पावधि और दीर्घावधि के कदम उठाए गए। सितंबर, अक्टूबर और नवंबर के महीने में निर्यात में सकारात्मक वृद्धि देखी गई। अप्रैल से नवंबर 2016 के दौरान 174.9 अरब डॉलर का निर्यात हुआ जबकि इसी अवधि के दौरान वर्ष 2015 में 174.7 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामों कमी और घरेलू स्तर पर सोने के आयात में अहम गिरावट से जनवरी 2016 के शुरुआत से ही व्यापार घाटा एक अंकों में रहा। सरकार ने दूरगामी लक्ष्य तय करते हुए वर्ष 2020 तक भारत को वैश्विक स्तर पर मुख्य हिस्सेदार बनाने और अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संगठनों में भारत के बढ़ते महत्व के अनुरूप नेतृत्व की भूमिका में लाने रणनीति बनाई है। लक्ष्य के अनुसार उत्पाद निर्यात और सेवाओं को मौजूदा 465.9 अरब डॉलर से बढ़ा कर वर्ष 2019-20 तक 900 अरब डॉलर तक बढ़ाना है। विश्व निर्यात में भारत की हिस्सेदारी को दो प्रतिशत से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य है।


वर्ष 2016 के दौरान सरकार ने निर्यात उत्पादों के दायरे का विस्तार, गैर-पारंपरिक बाजार में विविधता, मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर चल रही बातचीत पर फैसला और नए एफटीए की पहल, निर्यात संबंधी मूलभूत ढांचे को सुदृढ़ करना, न्यूनतम लागत पर निर्यात के ऋण प्रवाह में बढ़ोतरी, लेन-देन की लागत कम करना, निर्यात सेवाओं में विविधता, ब्रांड इंडिया का निर्माण, बागान क्षेत्र को सहायता प्रदान करना और अहम घरेलू उद्योगों को संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकारी ई-मार्केटप्लेस - जीईएम अक्टूबर से पूरी तरह कार्य कर रहा है। फिलहाल जीईएम पीओसी पोर्टल के जरिये 86 श्रेणियों में 4000 से अधिक उत्पाद और परिवहन सेवाएं उपलब्ध हैं। जीईएम में 1600 उत्पाद विक्रेता और सेवा प्रदाता तथा करीब 1500 सरकारी अधिकारी पंजीकृत हैं। इसके जरिये खरीदारी में दामों में 10-20 प्रतिशत की कमी और कुछ मामलों में तो 56 प्रतिशत तक की कमी आई है। इसे अधिकतम सुशासन- न्यूनतम सरकार, मेक इन इंडिया, व्यापार में सुगमता और डिजीटल इंडिया को प्रोत्साहित करने का माध्यम माना जा रहा है। विक्रेताओं को समय से भुगतान कर जीईएम न केवल प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित कर रहा है बल्कि लघु व्यापारिक ईकाइयों और व्यापारियों को भी सरकारी संगठनों के साथ व्यापार करने को भी प्रोत्साहित कर रहा है। विश्व व्यापार संगठन-डब्ल्यूटीओ का व्यापार सुविधा समझौता एक अंतरराष्ट्रीय ढांचा तैयार कर व्यापार में लागत को कम करने की दिशा में मील का पत्थर माना जाता है। व्यापार सुविधा समझौता (टीएफए) में सामानों की आवाजाही, उनकी निकासी और पारगमन की प्रक्रिया में तेजी लाने के प्रावधान हैं। इस समझौते में व्यापार सुविधा और सीमा शुल्क से जुड़े मुद्दों पर संबंधित प्राधिकरणों में कारगर सहयोग के लिए विभिन्न उपायों का भी उल्लेख किया गया है। ये उद्देश्य भारत की ‘कारोबार में सुगमता’ वाली पहल के अनुरूप हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इन प्रावधानों को लागू करने और घरेलू समन्वय के लिए मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता में व्यापार सुविधा पर राष्ट्रीय समिति के गठन को भी मंजूरी दे दी है।


विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अक्टूबर में विदेशी मुद्रा प्राप्ति और आयात निर्यात कोड से जुड़े आंकड़ों को साझा करने के लिए वस्तु एवं सेवा नेटवर्क (जीएसटीएन) के साथ एक सहमति की। इससे वस्तु एवं सेवाकर - जीएसटी के तहत करदाताओं के निर्यात लेन-देन की प्रक्रिया के मजबूत होने, पारदर्शिता बढ़ने और मानवीय हस्तक्षेप कम होने की उम्मीद है। इस संबंध में डीजीएफटी ने राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार की एजेंसियों और जीएसटीएन के साथ आंकड़ों को साझा करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन राज्यों में महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, गोवा और बिहार शामिल है। इसके अतिरिक्त वित्त मंत्रालय, परवर्तन निदेशालय, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण निर्यात विकास प्राधिकरण और जीएसटीएन ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। आलोच्य वर्ष में ब्रिक्स देशों के पहले व्यापार मेले का आयोजन एक उपलब्धि रहा। ब्रिक्स व्यापार मेले में 397 प्रदर्शकों ने हिस्सा लिया और 14 हजार 612 व्यापारिक प्रतिनिधि भी शामिल हुए। मेले में प्रमुख क्षेत्रों जैसे कि कृषि एवं कृषि प्रसंस्करण, ऑटो और ऑटो उपकरणों, रसायनों, स्वच्छ ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य और औषधि, कपड़ा तथा परिधान, बुनियादी ढांचा, सूचना प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग सामान, पर्यटन, रत्न एवं आभूषणों का प्रतिनिधित्व रहा। सत्या. उपाध्याय वार्ता

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