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किसान हितैषी संरचनात्मक सुधार जरूरी-कमलनाथ

किसान हितैषी संरचनात्मक सुधार जरूरी-कमलनाथ

भोपाल, 15 जून (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी राज्यों में कृषि क्षेत्र में संरचनागत सुधारों की आवश्यकता बताते हुए कहा है कि कृषि उत्पादन बढ़ने के बावजूद कृषि बाजार में सुधारों की आवश्यकता है, जिससे किसानों को उनकी उपज के अच्छे दाम मिल सकें।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार श्री कमलनाथ ने आज नई दिल्ली में कृषि क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन के मुद्दों पर नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की पाँचवीं बैठक में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी अधिनियम और अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम में किसानों के व्यापक हितों को देखते हुए जरूरी संशोधनों की आवश्यकता बतायी।

उन्होंने ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट योजना की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि ई-पेमेंट सिस्टम अभी भी पूरी तरह व्यवहार में नहीं आ पाया है, जिससे राज्यों को परेशानी हो रही है। इसी प्रकार किसानों की समस्याओं का समाधान करने की व्यवस्था भी स्थापित होना चाहिये। उन्होंने कहा कि एक मण्डी में किसी उपज की गुणवत्ता निर्धारित होने पर उसे सभी मण्डियों के लिये उपयुक्त माना जाना चाहिये।

उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी अधिनियम में सुधार कर इसे ज्यादा से ज्यादा किसान हितैषी बनाया जाना चाहिये। उन्होंने कृषि उपज के आयात-निर्यात की एक सुदृढ़ व्यवस्था स्थापित करने पर जोर दिया, जिससे सभी राज्यों के किसानों को लाभ मिले।

मुख्यमंत्री ने भू-जल संवर्धन और वर्षा जल के संवर्धन को सतत् विकास के लिये जरूरी बताते हुए कहा कि भविष्य में जनसंख्या बढ़ने के साथ ही मानव और औद्योगिक उपयोग के लिये पानी की माँग बढ़ेगी। इसे देखते हुण् तत्काल भू-जल के संरक्षण की आवश्यकता है। सभी राज्यों को इसके लिये जलग्रहण की गतिविधियों में तेजी लाना पड़ेगी। उन्होंने कहा कि भू-जल का संवर्धन सभी राज्यों के सामूहिक प्रयासों से ही संभव है।

मध्यप्रदेश का उदाहरण देते हुए श्री कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में 40 नदियों में जलग्रहण क्षेत्र का उपचार करने के लिये नदी के बहाव को बरकरार रखने की परियोजना चलायी जा रही है। उन्होंने कहा कि भू-जल संवर्धन के लिये केन्द्रीय भू-जल बोर्ड से तकनीकी सहयोग और केन्द्र से वित्तीय सहयोग की जरूरत होगी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में सभी जल संरचनाओं को जीवन देने की गतिविधियों को बड़े पैमाने पर लागू किया जायेगा।

नीति आयोग को मध्यप्रदेश में सूखा राहत उपायों की तैयारियों से अवगत करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि मानसून में देरी की सूचनाओं के चलते कृषि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर किसानों के लिये बीजों की उपयुक्त किस्में उपयोग कराई जा रही हैं। साथ ही जिला आपदा प्रबंधन की तैयारियों को भी अद्यतन किया गया है। मुख्यमंत्री ने नीति आयोग को बताया कि विकास के मापदण्डों पर पिछड़े जिलों की गणना करने की नीति आयोग की अवधारणा को अपनाते हुए 50 विकासखण्डों की पहचान की गई है, जिनमें 29 आदिवासी विकासखण्ड हैं, जिससे इनमें विकास की ओर ज्यादा ध्यान दिया जा सके।

सुरक्षा संबंधी मुद्दों और वाम चरमपंथ प्रभावित क्षेत्रों से जुड़े विषयों के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों के लिये विशेष खुफिया शाखाओं का गठन किया जाना चाहिये, जिसमें स्थानीय समुदाय का सक्रिय सहयोग होना चाहिये। उन्होंने कहा कि प्रभावित राज्यों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान का सुव्यवस्थित तंत्र स्थापित होना चाहिये। स्थानीय समुदायों में आत्म-विश्वास बढ़ाने वाली गतिविधियों को केन्द्र सरकार के सहयोग से लागू किया जाना चाहिये।

नाग

वार्ता

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