Wednesday, Apr 24 2024 | Time 19:31 Hrs(IST)
image
भारत


महाराष्ट्र और कर्नाटक में ‘अंगूर प्रेम’ जारी

महाराष्ट्र और कर्नाटक में ‘अंगूर प्रेम’ जारी

नयी दिल्ली, 21 जुलाई (वार्ता) मौसम की मनमानी और आर्थिक संकट के कारण आत्महत्या को मजबूर होने के बावजूद महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के किसानों में ‘अंगूर प्रेम’ बढता ही जा रहा है और पिछले तीन साल से इसके उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है।

महाराष्ट्र और कर्नाटक देश में अग्रणी अंगूर उत्पादक राज्य हैं । मध्य प्रदेश, पंजाब , हरियाणा ,राजस्थान, हिमाचल प्रदेश , मिजोरम , केरल ,आन्ध्र प्रदेश , तमिलनाडु , तेलंगना तथा कुछ अन्य राज्यों में छिटपुट रुप से अंगूर की खेती की जाती है । कुछ स्थानों पर अंगूर की खेती को बढावा देने के लिए योजनाएं चलायी जा रही है । कृषि मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र में वर्ष 2015..16 में अंगूर का उत्पादन 2048.11 टन हुआ था जो 2016..17 में बढकर 2378.17 टन हो गया । इस राज्य में वर्ष 2017..18 के दौरान इसका उत्पादन बढकर 2404.2 टन होने का अनुमान है ।

इन वर्षो के दौरान कर्नाटक में इसका उत्पादन क्रमश: 429.78 टन और 450.79 टन हुआ था । वर्ष 2017..18 इसका उत्पादन करीब 502 टन होने की आशा है । वर्ष 2015..16 में मिजोरम में अंगूर का उत्पादन 22 टन से अधिक था। लेकिन इसके बाद के वर्षो में इसका उत्पादन कम होने लगा जबकि केरल में पिछले तीन वर्ष से इसका उत्पादन बढ रहा है तथा यह 15.5 टन से बढकर 17.5 टन पहुंच गया है । आन्ध्र प्रदेश और पंजाब में इसका उत्पादन लगभग स्थिर है । आन्ध्र में करीब 15 टन और पंजाब में करीब आठ टन अंगूर का सालाना उत्पादन होता है ।

तमिलनाडु ,तेलंगाना और मध्य प्रदेश में अंगूर की पैदावार कम हो रही है । हरियाणा , हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में इसके बहुत कम बाग हैं । अंगूर की अगेती फसल नवम्बर -दिसम्बर के दौरान आती है जबकि पिछेती फसल मई जून में आती है । इस दौरान किसानों को अंगूर का अच्छा मूल्य मिलता है । कुछ प्रगतिशील किसान और व्यापारी अंगूर का निर्यात भी करते हैं । सरकार मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में अंगूर की खेती को बढावा दे रही है । पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा क्षेत्र में बीजरहित अंगूर की खेती की शुरुआत की गयी है ।

हरियाणा में अंगूर के बाग लगाने को फिर से बढावा दिया जा रहा है । मिजोरम के चंपाई जिले में इसकी खेती का विकास किया जा रहा है । महाराष्ट्र के जलना तथा पंढरपुर क्षेत्र में जून महीने में तैयार होने वाली किस्म के बाग लगाने पर जोर दिया जा रहा है । महाराष्ट्र में 2014 में 4004 , 2015 में 4291 और 2016 में 3661 किसानों ने आत्महत्या की थी । इन वर्षो के दौरान कर्नाटक में 768 , 1569 और 2079 किसानों ने आत्महत्या की थी ! महाराष्ट्र के मराठवाड़ा, विदर्भ तथा कुछ अन्य क्षेत्र वर्षो से सूखा प्रभावित रहे हैं । इन क्षेत्रों में 83 लघु सिंचाई परियोजनाओं तथा 8 बड़ी सिचांई परियोजनाओं को हाल में मंजूरी दी गयी है। कर्नाटक भी पिछले कुछ साल से सूखे की समस्या का सामना कर रहा है ।

अरुण जितेन्द्र

वार्ता

image