धमतरी, 23 जून (वार्ता) छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश के संसाधनों और सरकार पर पहला हक किसानों का है। इसलिए उनकी समस्याओं का निश्चित तौर पर हल पहली प्राथमिकता से होगा।
श्री बघेल ने आज यहां जिले के विकासखण्ड मुख्यालय कुरूद में आयोजित चंद्रनाहू समाज के दो दिवसीय प्रादेशिक वार्षिक अधिवेशन के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदी से यह बात कही। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ऐसा पहला राज्य है, जहां किसानों के परिश्रम का मर्म समझते हुए 2500 रूपए प्रति क्विंटल के मान से समर्थन मूल्य पर धान खरीदने का निर्णय शासन ने लिया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश शासन किसानों और जमीन से जुड़े लोगों के हितों की रक्षा करने के हरसम्भव प्रयास करेगा तथा इसके लिए कभी संसाधनों की कमी नहीं होगी। उन्होंने वर्तमान खेती पद्धति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि रासायनिक तत्वों की मदद से खेती करने से जमीन की उर्वराशक्ति का लगातार ह्रास होता जा रहा है, जिसका मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसी तरह जल संसाधनों के अत्यधिक दोहन से भूजल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है, जो गम्भीर चिंता व चिंतन का विषय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्हीं समस्याओं को दृष्टिगत करते हुए छत्तीसगढ़ शासन ने नरवा, गरुवा, घुरुवा और बाड़ी योजना संचालित की है। इस ड्रीम प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य जैविक खेती को पुनर्जीवित कर जल संरक्षण के उपाय करना, गौवंश की रक्षा करते हुए उनके लिए सुनिश्चित स्थान और चारागाह उपलब्ध कराना व उसके गोबर से घुरवा में कम्पोस्ट तैयार करना तथा सब्जीवर्गीय फसलों को बढ़ावा देना है। कुल मिलाकर पूर्वजों की कृषि पद्धति को अपनाकर खेतों, गायों व बाड़ी को संरक्षित करना ही योजना का उद्देश्य है।
उन्होंने विशेष तौर पर जल संरक्षण के लिए नरवा (नालों) में बंधान, तटबंध के माध्यम से भूजल स्तर को बनाए रखते हुए वाॅटर रिचार्ज के लिए प्रयास करने पर जोर दिया, जिससे कि बारहमासी जलस्रोतों में बढ़ोत्तरी हो सके व जल संकट जैसी भयावह स्थिति निर्मित न हो।
सं नाग
वार्ता