लोकरुचिPosted at: Dec 31 2018 2:59PM कद्दू चुराने पर देना पड़ता है पांच सौ रुपए जुर्माना
जगदलपुर, 31 दिसंबर (वार्ता) छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासी समाज कद्दू (कुम्हड़ा) इस कारण लगाते है ताकि अपने परिजन या समाज को भेंट कर सकें, इसलिए यहां कद्दू को सामाजिक सब्जी माना जाता है और यह सामाजिक व्यवस्था भी है कि अगर किसी ने कद्दू चुराया तो उसे पांच सौ रुपए तक का अर्थदण्ड किया जाता है।
इस व्यवस्था के चलते कद्दू लोगों के घर और बाड़ी में महीनों पड़े रहते हैं। बस्तर ही नहीं सभी जगह कद्दू को आमतौर पर सब्जी के लिए ही उपजाया जाता है। इसके कई व्यवसायिक उपयोग है। आयुर्वेद भी इसे औषधीय फल मान कर महत्व देता है। बस्तर के गांवों में कद्दू लगाना अनिवार्य माना जाता है, इसलिए ग्रामीण इसे अपनी बाड़ी में या घर में मचान बनाकर कद्दू लगाते हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता और हल्बा समाज के संभागीय अध्यक्ष अर्जुन नाग बताते हैं कि बस्तर का आदिवासी समाज कद्दू को सामाजिक सब्जी मानता है। एक कद्दू को दो- चार लोगों के लिए कभी नहीं काटा जाता। आदिवासी समाज में परंपरा है कि जब किसी रिस्तेदार के घर या प्रियजन के घर सुख या दुख का कार्य होता है। लोग उनके घर आमतौर पर कद्दू भेंट करते है। बताया गया कि एक कद्दू से कम से कम 25 लोगों के लिए सब्जी तैयार हो जाती है। इसलिए कद्दू को सुलभ और लंबे समय तक सुरिक्षत रहने वाली सब्जी माना जाता है।
अर्जन नाग बताते हैं कि कद्दू की इस विशेषता के चलते ही इसे चुराकर बेचने की कोशिश आमतौर पर नही होती। फिर भी अगर कोई ग्रामीण किसी के घर से कद्दू चुराता है और इस बात का खुलासा होता है तो आरोपी को सामाजिक तौर पर 500 रुपए का अर्थदण्ड किया जाता है।
करीम बघेल
वार्ता