राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Dec 24 2019 9:16PM व्यय पर नियंत्रण में वित्तीय समितियों की होती है महत्वपूर्ण भूमिका: दीक्षित
लखनऊ 24 दिसम्बर(वार्ता)उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा है कि संसदीय लोकतंत्र में सदन की वित्तीय समितियों की बहुत ही अहम भूमिका होती है।
श्री दीक्षित ने मंगलवार को यहां जांच सम्बन्धी समिति के उद्घाटन के अवसर कहा कि कार्यपालिका द्वारा किए गए व्यय पर विधायिका का प्रभावी नियंत्रण रखने के उद्देश्य से संसदीय व्यवस्था में वित्तीय समितियों का प्रादुर्भाव हुआ।
उन्होंने कहा कि समितियां मुख्य रूप से कार्यपालिका द्वारा किए जाने वाले व्यय पर नियंत्रण रखने, विभिन्न विभागों की दक्षता तथा कार्य-कुशलता को बढ़ाने तथा उसमें मितव्ययिता लाने का काम एवं बजट में सुधार के लिए अपना महत्वपूर्ण सुझाव दे सकती है। विधान सभा द्वारा जो बजट पास किया जाता है तथा राजकोष के लिए दिया जाता है उस राजकोष का धन कार्यपालिका को जिस उद्देश्य के लिए दिया गया है।
श्री दीक्षित ने कहा कि विधान सभा में सत्ता पक्ष एक तरफ होता है, विपक्ष दूसरी तरफ होता है, बीच में अध्यक्ष होता है। सदन मेें समय की कमी के कारण मामलों का सूक्ष्म विश्लेषण नहीं हो पाता है। यहां पर सत्ता और विपक्ष में भेद नहीं किया गया है। सभी मर्यादा के तहत अपनी बात कहकर सरकारी तंत्र को जवाबदेह बना सकते हैं। समितियों में अधिकारियों का एक पक्ष होता है, दूसरे पक्ष में विधायकगण होते हैं। उन्हें विषयों के सूक्ष्म विश्लेषण का अवसर मिलता है।
उन्होंने कहा कि लोक लेखा समिति सदन की बहुत ही प्रभावी समिति है। यह विधान मण्डल द्वारा कार्यपालिका को दिए गए बजट पर महालेखाकार द्वारा प्रस्तुत किये गये प्रतिवेदनों के प्रस्तरों व वित्तीय अनियमितताओं की जांच का कार्य करती है। इसी प्रकार पंचायती राज समिति व स्थानीय निकायों के लेखा परीक्षा प्रतिवेदनों की जाँच सम्बन्धी समिति भी पंचायत विभाग के लेखों व स्थानीय निकाय के लेखों पर लेखा परीक्षक द्वारा प्रस्तुत किये गये प्रतिवेदन के प्रस्तरों पर जांच का कार्य करती है।
भंडारी
वार्ता