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प्रवासी बसों की छत पर सफर करने को मजबूर, प्रशासन किंकर्तव्यविमूढ़

प्रवासी बसों की छत पर सफर करने को मजबूर, प्रशासन किंकर्तव्यविमूढ़

पटना 25 मई (वार्ता) कोरोना महामारी की ‘दहशत’ में घर लौटने की बेचैनी प्रवासियों पर इस कदर हावी हो गई है कि अब लोग नियमों को ताक पर रखकर बसों की छत पर जोखिम भरा सफर कर रहे हैं तो दूसरी ओर प्रशासन किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया है।

मुंबई से दानापुर स्टेशन पहुंची श्रमिक विशेष ट्रेन से उतरे मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गया, नालंदा और औरंगाबाद समेत कई अन्य जिलों के प्रवासियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए स्टेशन परिसर में ही विभिन्न जिलों के लिए बसें खड़ी थी। ट्रेन से आये इन प्रवासियों ने यात्रा शुरू करने से पहले भले ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा होगा लेकिन जल्द घर पहुंचने की बेचैनी में उन्हें न तो कोरोना का डर सताया और न ही उन्हें बस की छत पर सफर के जोखिम का ख्याल आया। 52 यात्रियों के बैठने की क्षमता वाली बसों पर करीब सवा सौ लोग सवार हो गए।

ट्रेन के आते ही दानापुर स्टेशन परिसर में खड़ी अलग-अलग जिलों की बसों के लिए लाउडस्पीकर के जरिए कराई जा रही उद्घोषणा के बाद लोग बसों की ओर दौड़ लगाते दिखे। बसों की सीट जब भर गई और खड़े रहने के लिए भी जगह नहीं मिली तब प्रवासी घर पहुंचने की जल्दबाजी में जान जोखिम में डालते हुए बस की छत पर सवार हो गए।

शिवा सूरज

जारी वार्ता

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