चित्तौगड़गढ़, 21 जनवरी (वार्ता) मोदी सरकार की नीतियों का लगातार विरोध कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा है कि नागरिक संशोधन कानून से (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की वजह से देश की विदेश नीति भी प्रभावित हो रही है।
अपनी गांधी शान्तियात्रा के तहत यहां आज आये श्री सिन्हा ने पत्रकारों से कहा कि सीएए एवं एनआरसी के लागू होने से देश की विदेश नीति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है, कोई पड़ोसी देशों से धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आया है, यह कैसे साबित किया जाएगा? उन्होंने आरोप लगाया कि इस कानून को लाने के पीछे मकसद देश की चरमराती आर्थिक स्थिति से ध्यान भटकाने का है।
श्री सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद सरकार ने करीब चार हजार लोगों को नागरिकता दी गयी, जिसमें पाकिस्तान के 2530, बंगलादेश के 172 और अफगानिस्तान के 912 नागिरक थे। चार लाख 61 हजार श्रीलंकाई तमिलों को 2008 तक नागरिकता मिल गयी थी। यूपीए सरकार के दौरान गुजरात एवं राजस्थान के सीमावर्ती जिले में 1965 और 1971 की लड़ाई में भागकर आए लोगों को जिला कलक्टरों के स्तर पर नागरिकता दी गयीं। जब उन सभी को मौजूदा कानून से नागरिकता दी थी, यही कानूनी स्थिति थी, तो अलग से नागरिकता संशोधन बिल धर्म के आधार पर लाने की जरूरत क्यों पड़ी? यह कानून केशवानंद भारती के मामले के मुताबिक संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। धर्म को नागरिकता का आधार बनाता है। जिस तरह इसकी भाषा लिखी है, उसे धरातल पर उतारा ही नहीं जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कानून तो लागू हो गया है, लेकिन इसका कोई नियम नहीं बना है। इसलिए इसका कोई महत्व नहीं है। ऐसे में देश की जनता सोचने पर मजबूर है। वार्ता में देश की आर्थिक स्थिति पर बात करते हुए सिन्हा ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर है। सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण आमजन त्रस्त हो गया है। सबसे ज्यादा अर्थव्यवस्था की मंदी की मार मझोले उद्योगों पर पड़ी है, जो बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। वर्तमान सरकार के गठन के समय पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की बात कही थी, लेकिन देश की विकास दर इस समय साढ़े चार फीसदी ही रह गई है, जो मोदी सरकार का एक जुमला ही बनकर रह गई है।
श्री सिन्हा ने गांधी शांति यात्रा के मकसद साझा करते हुए कहा कि हमने संकल्प कि है कि भारत के संविधान की रक्षा करेंगे, हम दोबारा गांधी के विचारों की हत्या नहीं होने देंगे, हम धर्म के आधार पर देश को बांटेंगे नहीं, एनआरसी लागू होने पर हम पहचान का कागज नहीं दिखाएंगे, सरकार चाहे तो हमें गैर नागरिक घोषित कर दे। हमारी यात्रा को कांग्रेस, सीपीआइ-सीपीएम, समाजवादी पार्टी और कई पार्टियां, सामाजिक संगठन सहयोग दे रहे हैं। अकोला महाराष्ट्र से 60 किसान भी इस यात्रा में साथ चल रहे हैं।
व्यास सुनील
वार्ता