नयी दिल्ली 10 नवंबर (वार्ता) देश में 10,000 नए कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
कुल 35 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में समन्वय समिति बना ली है, वहीं 400 जिलों में भी निगरानी एवं समन्वय समितियां (डीएमसी) का गठन हो गया है। अभी तक 411 उत्पाद क्लस्टरों का प्रमाणन कर दिया गया है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को समीक्षा के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर किसानों को संगठित करने पर है, ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें। हरेक ब्लाक में कम से कम एक एफपीओ बनाया जाएगा। किसानों के लिए सुविधाएं जुटाने को लेकर पूरी योजना पर लगभग 6800 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
सरकार ने देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक कदम उठाए है, इसी के तहत कृषि क्षेत्र को भी आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। कुल 10 हजार नए एफपीओ बनाने की योजना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बैठक में श्री तोमर ने कहा कि निश्चित ही 10,000 एफपीओ का निर्माण किसानों को एक नया आयाम प्रदान करेगा तथा भारतीय कृषि को पूर्ण रूप से सक्षम एवं लाभवर्धक बनाने में मील का पत्थर साबित होगा। बैठक में राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपाला भी मौजूद थे, जिन्होंने अधिकारियों से पूर्ण समन्वय व पारदर्शिता से कार्य करने को कहा।
बैठक में बताया गया कि देश में अभी तक 6,455 एफपीओ विभिन्न योजनाओं के तहत बनाए जा चुके है। इनमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश शामिल है। केंद्रीय क्षेत्र की 10 हजार नए एफपीओ बनाने की स्कीम की प्रगति पर बताया गया कि कार्यान्वयन एजेंसियों के समग्र समन्वय व आवंटन क्लस्टरों हेतु परियोजना प्रबंधन सलाहकार व निधि मंजूरी समिति की चार बैठकें हो चुकी है। योजना में स्माल फार्मर्स एग्रीबिजनेस कंर्सोटियम (एसएफएसी), राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के अलावा भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी संघ विपणन संघ (नेफेड), वाटरशेड डेवलपमेंट विभाग (डब्ल्यूडीडी)-कर्नाटक, एसएफएसी-हरियाणा, एसएफएसी-तमिलनाडु, नार्थ-ईस्टर्न रीजनल एग्रीकल्चरल मार्केटिंग कार्पोरेशन (एनईआरएएमसी), नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन (एनआरएलएम), इंटीग्रेटेड न्यूट्रिएन्ट मैनेजमेट (आईएनएम) डिवीजन व तिलहन डिवीजन को कार्यान्वयन एजेंसियों के रूप में मंजूरी दी गई है। इनके द्वारा नियुक्त 'क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (सीबीबीओ)' के विशेषज्ञ एफपीओ को विकसित करेंगे।
एफपीओ के लिए क्रेडिट गारंटी फंड बनाने की कार्यवाही भी प्रारंभ हो गई है। एजेंसियों को मंत्रालय द्वारा फंड जारी किया जा रहा है। वर्ष 2020-21 के दौरान एजेंसियों को 2,200 एफपीओ के गठन का लक्ष्य दिया गया है। एजेंसियों ने क्लस्टरों की पहचान भी कर ली है। वर्ष 2020-21 के लिए एजेंसियों ने एफपीओ के गठन हेतु अभी तक 1,581 ब्लॉक चिन्हित कर लिए हैं। एसएफएसी ने 28 राज्यो के 238 जिलों में 450 क्लस्टरों को चिन्हित किया है, जिनमें 84 आकांक्षी जिलों में एवं 9 जनजातीय जिलों में है। नाबार्ड ने 83 जिलों में 95 क्लस्टरों को चिन्हित किया, जिनमें से 21 आकांक्षी जिलों में है। नेफेड ने 28 राज्य/संघ क्षेत्र के 238 जिलों में 450 क्लस्टरों को चिन्हित कर लिया है, इनमें 84 आकांक्षी जिलों तथा 9 जनजातीय जिलों में है। एनसीडीसी ने 26 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के 101 जिलों में 445 क्लस्टरों को चिन्हित किया है। डब्ल्यूडीडी-कर्नाटक ने कर्नाटक में 28 जिलों को चिन्हित किया है, इनमें पांच आकांक्षी जिलों में है।
प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण की कवायद भी तेजी से चल रही है। बैंकर्स इंस्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट (बीआईआरडी), लखनऊ को लक्ष्मण राव इमानदार नेशनल एकेडमी फार कोआपरेटिव रिसर्च एंड डेवलपमेंट (एलआईएनएसी), गुरुग्राम के साथ नोडल संस्थान के रूप में चिन्हित किया गया है।
अरुण.संजय
वार्ता