खेलPosted at: Jun 25 2019 6:49PM खेल प्रतिभाओं को निखारने में ली जा रही है खेल विज्ञान की मदद
भोपाल, 25 जून (वार्ता) मध्यप्रदेश में खेल प्रतिभाओं को निखारने तथा उनके और बेहतर प्रदर्शन में खेल विज्ञान की बहुत अहम भूमिका है और इसके मद्देनजर इससे जुड़े विशेषज्ञों की मदद ली जा रही हैं।
राज्य के खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संचालक डॉ एस एल थाऊसेन ने मंगलवार को यहां यूनीवार्ता को बताया कि इस प्रयोग के सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं और निकट भविष्य में ये साफतौर सभी को दिखायी देंगे। उन्होंने कहा कि अक्सर देखने में आता है कि खिलाड़ी और प्रशिक्षक काफी मेहनत करते हैं, इसके बावजूद उनकी परफार्मेंस (प्रदर्शन) बहुत बेहतर नहीं रह पाती है। इसकी मुख्य वजह यह है कि प्रशिक्षक और खिलाड़ी खेल विज्ञान के पहलुओं को सामान्यत: नजरअंदाज करते हैं।
एक वर्ष से अधिक समय से संचालक पद की जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ थाऊसेन ने कहा कि मान लीजिए कोई एथलीट ही है। खेल विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ एथलीट के प्रदर्शन और मशीनों आदि की मदद से कसौटी पर कसकर यह जान सकेंगे कि उसमें एथलीट के रूप में आगे बढ़ने की क्षमता है भी या नहीं। वह जितना परिश्रम कर रहा है, उसका परिणाम उसके अनुरूप आ भी रहा है अथवा नहीं। विशेषज्ञ की सलाह की मदद से एथलीट अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकता है। वस्तुत: खेल विज्ञान की मदद से वैज्ञानिक पहलुओं के आधार पर खेल प्रतिभा को निखारकर उसे श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है। ऐसा करके खिलाड़ी देश और प्रदेश के लिए अधिक से अधिक पदक ला सकते हैं।
उन्होंने कहा कि खिलाड़ी के प्रदर्शन में उसके आहार और व्यवहार विज्ञान का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है। यदि कोई खिलाड़ी मेहनत बहुत कर रहा है और उसका खानपान वैज्ञानिक आधार पर नहीं हो तो इस स्थिति में भी उसका प्रदर्शन प्रभावित रहता है। इसके अलावा कई खिलाड़ी अभ्यास के दौरान बेहतर प्रदर्शन करते हैं और मैच आदि में निराश कर देते हैं। इस स्थिति में उन्हें मनोवैज्ञानिक की सलाह की आवश्यकता रहती है। इसलिए उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान खिलाड़ियों को प्रशिक्षकों के साथ ही फिजियोथैरेपिस्ट, मनौवैज्ञानिक और स्पोर्ट्स न्यूट्रिशनिस्ट की सुविधा भी मुहैया करायी है।