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उपेक्षा का शिकार स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाने वाला गांधी भवन

उपेक्षा का शिकार स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाने वाला गांधी भवन

नैनीताल, 30 सितम्बर (वार्ता) उपेक्षा के चलते ताकुला का ऐतिहासिक गांधी भवन जीर्ण शीर्ण हालत में पहुंच गया है जिसकी खास बात यह है कि इसकी आधारशिला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने खुद रखी थी और इसका निर्माण पूरा हो जाने के बाद इसमें कुछ कुछ दिन ठहरे भी थे।

कुमाऊं के दौरे पर गांधी जी ने 1929 में नैनीताल से लगे तालुका गांव में एक भवन का शिलान्यास किया था जो गांधी भवन के नाम से प्रसिद्ध हुआ। कुछ लोग इसे गांधी मंदिर भी कहते हैं। महात्मा गांधी 1931 में जब दूसरी बार नैनीताल की यात्रा पर आये तब तक यह भवन बन कर तैयार हुआ चुका था और वह कई दिनों तक इस भवन में ठहरे थे।

ताकुला के ग्राम प्रधान हिमांशु पांडे ने यूनीवार्ता को बताया कि गांधी मंदिर आज उपेक्षा के चलते वीरान पड़ा है। रखरखाव के अभाव में यह भवन जर्जर हालत में है। उनकी तथा क्षेत्र के कई अन्य लोगों की मांग है कि सरकार गांधी जी की 150वीं जयंती मना रही है इसलिये उसे ताकुला के गांधी भवन को गांधी दर्शन और स्वाधीनता आंदोलन से जुडे मामलों का संग्रहालय के रूप में विकसित करना चाहिये । यही गांधी जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इतिहासकार डा0 शेखर पाठक के अनुसार गांधी जी पहली दफा 13 जून, 1929 को कुमाऊं दौरे पर आये थे। वे पहले हल्द्वानी आये और 14 जून, 1929 को सरोवरनगरी नैनीताल पहुंचे। इसी दिन उन्होंने मल्लीताल में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। साथ ही जुलूस निकाला। राष्ट्रपिता की इस सभा में भारी संख्या में लोग जुटे थे। महिलायें भी भारी संख्या में सभा में आयीं। गांधी जी के संबोधन से जनता खासकर महिलायें काफी प्रभावित हुई। एक दिन बाद 15 जून को गांधी जी भवाली दौरे पर गये और वहां भी उन्होंने लोगों में स्वाधीनता व स्वावलंबन को लेकर जन जागृति पैदा की। उन्होंने भवाली की सभा में ही सविनय अवज्ञा आंदोलन करने के पहली बार संकेत दिये थे। इसके बाद गांधी जी ने सन् 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया। भवाली दौरे पर वे ऐतिहासिक सेनिटोरियम भी गये। श्री पाठक बताते हैं कि नैनीताल दौरे पर गांधी जी गवरमेंट हाऊस में नहीं रूके। उस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी कस्बूरबा गांधी व उनके पुत्र , जवाहर लाल नेहरू, जमुनालाल बजाज, मीराबेन, जमशेद जी टाटा व आचार्य कृपलानी भी ताकुला में रहे।

श्री पाठक ने बताया कि अपनी इस यात्रा के दौरान गांधी जी ताकुला में लाला गोविंद लाल साह के मोती भवन में रूके। इसी दौरान उन्होंने ताकुला में एक भवन की आधारशिला रखी जो कि बाद में गांधी भवन के नाम से जाने जाने लगा। बाद में यहीं से स्वतंत्रता आंदोलन की रूपरेखा तय की जाने लगी। उन्होंने यहां रहकर महिलाओं व आम लोगों में आजादी के आंदोलन के लिये जागृति पैदा की। इसके कुछ दिन बाद गांधी जी अल्मोड़ा के लिये रवाना हो गये।

श्री पाठक ने बताया कि इसके दो साल बाद 8 मई, 1931 को गांधी जी दुबारा नैनीताल आये। इस दौरान जिस भवन की

गांधी जी के करीबी लाला गोविन्द लाल साह के नाती और वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह ने बताया कि ताकुला में गांधी जी ने जिस भवन की आधारशिला रखी वह आज भी मौजूद है लेकिन उपेक्षा के चलते जीर्ण क्षीर्ण हालत में है। उन्होंने बताया कि 1995 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल बोरा ने गांधी भवन का जीर्णाेद्धार करवाया था और ताकुला को गांधी ग्राम घोषित किया।

सं, जय

वार्ता

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